बिहार में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज होने वाली हैं। इस चुनावी महासंग्राम से पहले, भारत निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है, बिहार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान। यह अभियान मतदाताओं की सटीक सूची सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और इसका प्रारंभिक चरण अब सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। विपक्ष इस प्रक्रिया का जोरदार विरोध कर रहा है। प्रमुख विपक्षी दल के सबसे बड़े नेता तेजस्वी यादव ने तो बिहार चुनाव के बहिष्कार तक की बात कह दी थी। विपक्ष इस प्रक्रिया के समय को लेकर आवाज बुलंद किए हुए है। एक अगस्त को जब यह सूची आयोग जारी करेगा तो एक बार फिर मामला अपने उफान पर होगा। बिहार की सियासत में एक बार उबाल होगा और आरोप प्रत्यारोप का दौर चल निकलेगा।
चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त, 2025 को जारी की जाएगी। यह तारीख बिहार के लाखों मतदाताओं के लिए बेहद अहम है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस बात पर जोर दिया है कि यह मसौदा सूची शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की जाएगी। मतदाता इसे चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आसानी से देख सकेंगे। यह कदम पारदर्शिता और जनता की भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
चुनाव प्रक्रिया में सभी हितधारकों को शामिल करने के उद्देश्य से, राज्य के सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा बिहार के सभी 38 जिलों में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मसौदा सूची की भौतिक और डिजिटल प्रतियां उपलब्ध कराई जाएंगी। यह सुनिश्चित करेगा कि राजनीतिक दल भी मतदाता सूची की सटीकता की जांच कर सकें और आवश्यक सुझाव दे सकें।
इसके अलावा, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और सभी 243 निर्वाचक निबंधन अधिकारी मतदाताओं और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने का अवसर देंगे। 1 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक की अवधि में, कोई भी पात्र मतदाता जिसका नाम सूची में छूट गया हो, किसी भी अपात्र मतदाता का नाम हटाने के लिए, या मसौदा मतदाता सूची में किसी भी प्रविष्टि में सुधार के लिए अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जो यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी पात्र नागरिक अपने मताधिकार से वंचित न रहे और अवांछित नामों को हटाया जा सके।
विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बीच, एक महत्वपूर्ण बात जिस पर ध्यान दिया गया है, वह है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी। मंगलवार को, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची से कथित तौर पर 65 लाख मतदाताओं के बाहर होने की आशंका पर एक अहम टिप्पणी की थी। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि सामूहिक रूप से बाहर करने जैसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करेगा। यह टिप्पणी चुनाव आयोग पर मतदाता सूची तैयार करते समय अत्यधिक सावधानी बरतने और यह सुनिश्चित करने का दबाव डालती है कि कोई भी पात्र नागरिक गलती से सूची से बाहर न हो जाए। यह लोकतंत्र के प्रति न्यायपालिका की सजगता को दर्शाता है और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आश्वासन है।
कुल मिलाकर, बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो आगामी चुनावों की निष्पक्षता और सटीकता को सुनिश्चित करेगी। 1 अगस्त को मसौदा सूची का प्रकाशन, उसके बाद आपत्तियों और सुझावों का समय, और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी, सभी एक मजबूत और समावेशी चुनावी प्रक्रिया के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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