जेएनयू आंतरिक समिति चुनाव के नतीजे घोषित, चुने गए तीन छात्र प्रतिनिधि

खबर सार :-
जेएनयू आंतरिक समिति चुनाव ने न केवल तीन नए छात्र प्रतिनिधि चुने हैं, बल्कि छात्र सहभागिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी मजबूत किया है। विवादों और अदालत की सुनवाई के बावजूद विश्वविद्यालय ने पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्न कराया। यह प्रक्रिया जेएनयू की अकादमिक और प्रशासनिक जवाबदेही को और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

जेएनयू आंतरिक समिति चुनाव के नतीजे घोषित, चुने गए तीन छात्र प्रतिनिधि
खबर विस्तार : -

JNU Internal Election: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय ने बुधवार को आंतरिक समिति चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए। इस चुनाव में तीन छात्र प्रतिनिधियों का चयन विभिन्न वर्गों से हुआ। डीन ऑफ स्टूडेंट्स मनुराधा चौधरी के अनुसार, स्नातक (यूजी) श्रेणी से गर्विता गांधी, परास्नातक (पीजी) श्रेणी से श्रुति वर्मा और पीएचडी श्रेणी से परन अमितावा को प्रतिनिधि चुना गया है। ये तीनों अपने-अपने वर्गों की ओर से विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति में भाग लेंगे।

वोटिंग प्रक्रिया और भागीदारी

जेएनयू में मंगलवार को वोटिंग संपन्न हुई थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 25 अक्टूबर को चुनाव का शेड्यूल जारी किया था। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच हुई और 4 नवंबर को मतदान हुआ। इस बार लगभग 67 प्रतिशत छात्रों ने अपने मत का प्रयोग किया। मतदान सुबह 9 बजे शुरू होकर देर शाम तक चला। केंद्रीय पैनल और स्कूल पार्षदों के लिए भी एक साथ मतदान हुआ। केंद्रीय पैनल के चार प्रमुख पदों— अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव— के लिए कुल 20 उम्मीदवार मैदान में थे। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष 9,043 छात्र मतदाता सूची में शामिल थे। मतदान के बाद मंगलवार रात को मतगणना शुरू हुई और बुधवार सुबह प्रारंभिक परिणाम घोषित किए गए, जबकि अंतिम नतीजे 6 नवंबर को आएंगे।

समिति की संरचना और विवाद

जेएनयू की आंतरिक समिति को आंतरिक शिकायत समिति (Internal Committee – IC) भी कहा जाता है, इस समिति में कुल नौ सदस्य होते हैं। इनमें से छह सदस्यों का चयन प्रशासन द्वारा किया जाता है, जबकि तीन छात्र प्रतिनिधियों का चुनाव मतदान के माध्यम से होता है। इस समिति का मुख्य कार्य यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों की जांच करना और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करना है। इस बार के छात्र प्रतिनिधि चुनाव को लेकर नियमों पर विवाद भी हुआ। कुछ छात्रों ने नामांकन प्रक्रिया और पात्रता को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन के उस निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें छात्रों को आईसी के प्रतिनिधियों के चुनाव में मतदान का अधिकार दिया गया था।

 

 

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