UPI transactions increase: यूपीआई ट्रांजैक्शन में 42 प्रतिशत की वृद्धि
Summary : फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर, वर्ल्डलाइन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में यूपीआई ट्रांजैक्शन में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से लेनदेन का कुल आंकड़ा 93.23 बिलियन तक पहुंच गया है।
नई दिल्लीः भारत की डिजिटल इंडिया नीति का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। अब गांव हो या शहर हर जगह लोग यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट करने लगे हैं। फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर, वर्ल्डलाइन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में यूपीआई ट्रांजैक्शन में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसकी वजह से लेनदेन का कुल आंकड़ा 93.23 बिलियन तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिजिटल पेमेंट करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में शानदार वृद्धि देखी गई, जो 31 प्रतिशत बढ़कर 130.19 ट्रिलियन रुपये हो गई है। यही नहीं मोबाइल के माध्यम से पेमेंट करने की दर में भी वृद्धि देखी गई है। आंकडों के मुताबिक मोबाइल ट्रांजैक्शन की संख्या 88.54 बिलियन तक पहुंच गई है, जो कि ट्रांजैक्शन के आंकड़ों में 41 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाता है। यह भी कहा गया है कि यूपीआई ट्रांजैक्शन के लेनदेन में आया उछाल ग्राहकों में मोबाइल-फर्स्ट फाइनेंशियल सॉल्यूशन को लेकर बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है।
आजकल हर किसी के पास स्मार्ट फोन है, जिसमें यूपीआई ट्रांजैक्शन के लिए आवश्यक सभी ऐप्स और अन्य सुविधाएं सहजता से उपलब्ध हो जाती है, जिसकी वजह से लोग डिजिटल पेमेंट में अधिक रुचि ले रहे हैं। अब बिजनेस से जुड़े लोगों में भी यूपीआई क्यूआर कोड अपनाने और डिजिटल तरीके से या ऑनलाइन पेमेंट लेने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। डिजिटल पेमेंट में 126 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल देखा गया है। आंकड़ों के मुताबिक देश भर में अब तक 633.44 मिलियन क्यूआर कोड बनाये जा चुके हैं। क्यूआर कोड की वजह से छोटे व्यवसाय और स्थानीय दुकानों में भी कैशलेस ट्रांजैक्शन की प्रवृत्ति बढ़ी है।
इस संबंध में वर्ल्डलाइन इंडिया के सीईओ रमेश नरसिम्हन ने बताया कि भारत का डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम अप्रत्याशित गति से विकसित हो रहा है। ऐसा यूपीआई के व्यापक रूप से अपनाए जाने, पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और मोबाइल ट्रांजैक्शन को लेकर लोगों की प्राथमिकता में वृद्धि की वजह से हो रहा है। पीओएस टर्मिनलों को लेकर भी निरंतर बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड की गई है, जो अब तक 10 मिलियन का आंकड़ा पार कर चुका है। वर्ष 2024 की तुलना में पीओएस टर्मिनलों को स्थापित करने को लेकर 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में डिजिटल पेमेंट की पहुंच और अधिक लोगों तक होगी।
वर्ल्ड लाइन की रिपोर्ट में सॉफ्ट पीओएस यानी सॉफ्टवेयर पॉइंट ऑफ सेल टेक्नोलॉजी की शुरुआत होने पर अधिक जोर दिया जा रहा है, जो व्यापारियों को उनके स्मार्टफोन को सुरक्षित संपर्क रहित पेमेंट टर्मिनल के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान करता है। यह टेक्नोलॉजी मर्चेंट पेमेंट को बिल्कुल नया रूप दे रही है। छोटे व्यवसायों से जुड़े लोग पहले महंगे पीओएस हार्डवेयर को अपनाने में संकोच करते थे, लेकिन नई टेक्नोलॉजी की वजह से लोगों में रुचि बढ़ रही है। एमपीओसी यानी मोबाइल पेमेंट ऑन कॉन्टैक्टलेस टेक्नोलॉजी सुरक्षा मानकों के लागू होने के बाद ट्रांजैक्शन सुरक्षित होने को लेकर लोग आश्वस्त हैं, जिसमें ऊंची कीमत वाली पेमेंट भी शामिल हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च को लेकर प्राथमिकता का भी जिक्र किया गया है।
क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन को लेकर 36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो उपभोक्ताओं की हाई-वैल्यू खरीदारी में उनकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। प्रीपेड कार्ड का उपयोग भी 35 प्रतिशत बढ़ा है, जो लचीले भुगतान विकल्पों में वृद्धि को बेहतर ढंग से दर्शाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फास्टैग जैसे इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें 103 मिलियन से अधिक टैग जारी किए गए हैं। जहां तक खर्च के तरीकों पर गौर करें, तो किराना स्टोर, रेस्तरां, फार्मेसी और सरकारी सेवाएं 'इन-स्टोर ट्रांजैक्शन' के लिए टॉप कैटेगरी के रूप में उभरीं हैं, जो ट्रांजैक्शन की मात्रा का 68 प्रतिशत और कुल ट्रांजैक्शन मूल्य का 53 प्रतिशत हिस्सा था।
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