India got Top Three Position: सौर ऊर्जा उत्पादन में 'भारत' का दुनिया में तीसरा स्थान

खबर सार :-
भारत ने सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया भर के लिए क्लाइमेट चेंज एक बड़ा मुद्दा है। हमारी सरकार क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों के निपटने के विकल्प तलाशने में तेजी से काम कर रही है। हमारा लक्ष्य 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को पूरा करने के साथ ही हीट वेव के प्रभावों को कम करना है।

India got Top Three Position: सौर ऊर्जा उत्पादन में 'भारत' का दुनिया में तीसरा स्थान
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः देश और दुनिया में भारत नित नए आयाम स्थापित करता जा रहा है। केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के कारण हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से प्रगति कर रही है। भारत ने सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे निश्चित तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी स्थिति मजबूत हुई है।

नई दिल्ली में दो दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल समिट  'इंडिया हीट समिट 2025' का आयोजन किया गया। इस समिट में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन यानी आईएसए के महानिदेशक आशीष खन्ना ने मंगलवार को बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के साथ हम वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति और अधिक मजबूत कर सकते हैं। दुनिया भर के लिए क्लाइमेट चेंज एक बड़ा मुद्दा है। हमारा लक्ष्य 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को पूरा करने के साथ ही देश का ज्यादा से ज्यादा विकास करना है। देश में केवल बिल्डिंग्स को लेकर हमारी ऊर्जा की जरूरत अगले 15 वर्षों में डबल हो जाएगी। बहुत सारे नए भवनों का निर्माण होगा, जिससे तापमान के और अधिक बढ़ने की परेशानी भी सामने आएगी। इस परेशानी से बचाव में सोलर सबसे बड़ा विकल्प बन सकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है।

सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का अहम योगदान

आशीष खन्ना के मुताबिक क्लाइमेट चेंज की स्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है। तापमान बढ़ने की समस्या के समाधानों में भारत सरकार की पीएम-सूर्य घर और प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान योजनाओं का अहम योगदान हो सकता है। इन योजनाओं को बढ़ावा देने से डीजल से चलने वाले संयंत्रों का इस्तेमाल और प्रदूषण दोनों कम होगा। प्रदूषण कम होगा तो हीट वेव भी कम होगी। बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड पीवी बनने को लेकर ही 4-5 लाख नौकरियों के अवसर भी मौजूद हैं। दरअसल, बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स यानी बीआईपीवी का अर्थ है इमारतों की संरचना में सीधे तौर पर सौर फोटोवोल्टिक पैनलों को एकीकृत करना। इसका सीधा सा मतलब है कि इन पैनलों का उपयोग इमारतों की छत, खिड़कियों या बाहरी दीवारों को बनाने में किया जाता है। इन पैनलों की मदद से आसानी से बिजली भी पैदा कर सकते हैं। बीआईपीवी पारंपरिक रूफटॉप सोलर से अलग है, जहां पैनल को मौजूदा छत पर स्थापित किया जाता है। इसलिए फाइनेंसिंग, इनोवेशन, स्केल-अप और न्यू बिजनेस मॉडल बेहद जरूरी हैं। इन पर विस्तृत रूप से चर्चा होनी चाहिए  ताकि शहरों का तापमान मैनेज हो सके और आने वाले समय में हम ऊर्जा को लेकर दोगुनी-तिगुनी जरूरत को पूरा कर सकें।

स्टार्टअप्स और लोकलाइज्ड सॉल्यूशन पर सभी का ध्यान

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक ने बताया कि मेक इन इंडिया अभियान के तहत भारत में स्टार्टअप्स की संख्या बहुत अधिक है। अब सभी का ध्यान स्थानीय आधार पर तैयार किए गए समाधान पर अधिक रहता है। देश में अधिक से अधिक सोलर पैनल बन रहे हैं। मेक इन इंडिया में तीन बातें महत्वपूर्ण होती हैं। इनमें पहला प्रोडक्ट से जुड़ा आईडिया, दूसरा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल और तीसरा हमारा बिजनेसमैन नई फाइनेंसिंग और सॉल्यूशन व्यवस्था से किस प्रकार मार्केट में आएगा। इस अवसर पर आईएमडी डायरेक्टर मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि 'इंडिया हीट समिट 2025' क्लाइमेट चेंज को लेकर हमारी सोसाइटी पर हीट वेव के प्रभाव को बताता है। हीट वेव के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है और क्या उपाय लाए जाने चाहिए, इन सब को लेकर एक थिंक टैंक चर्चा कर रहा है। मेरा मानना है कि इस समिट से बहुत सारे बेहतर सुझाव और उपाय बाहर निकल कर आएंगे। जिसके बहुत ही सार्थक और दूरगामी परिणाम होंगे।

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