नई दिल्लीः स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च विंग ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसके अनुसार देश में घरेलू बचत के वित्तीयकरण में तेजी से वृद्धि हो रही है। घरेलू बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करना घरेलू बचत का वित्तीयकरण कहलाता है। देश में घरेलू बचत का इक्विटी में निवेश का आंकड़ा बढ़कर वर्ष 2024 में 5.1 प्रतिशत हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत था।
एसबीआई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऋण बाजार में बैंक ऋण वृद्धि के साथ कुछ नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। भविष्य में, बैंक जमा के माध्यम से ऋण उत्पत्ति के स्रोतों पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है, इसमें मुख्य रूप से बैंक जमा में घरेलू बचत पर सबसे अधिक ध्यान देना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यानी पीएसबी में वित्त वर्ष 2025 में 12.2 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि हुई है। जबकि, वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा 13.6 प्रतिशत था। यही नहीं, पीएसबी की वृद्धिशील ऋण हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018 में 20 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 56.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
एसबीआई की रिपोर्ट में सरकार की 4आर (रिकवर, रिसॉल्व, रीकैपिटलाइज और रिफॉर्म) रणनीति की सफलता का विस्तृत विवरण दिया गया है। यह रणनीति लगातार सफल हो रही है। इसकी वजह से बैंकिंग सिस्टम में परिसंपत्ति की गुणवत्ता अब वित्त वर्ष 2018 के 11.5 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 2.6 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर दर्ज की गई है। बकाया ऋण में पीएसबी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2010 के 75.1 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2024 में 51.8 प्रतिशत तक गिरने के 14 वर्ष बाद वित्त वर्ष 2025 में 52.3 प्रतिशत हो गई है। क्षेत्रीय ऋण वृद्धि से संकेत मिल रहा है कि सेवा क्षेत्र, कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए ऋण की वृद्धि में नरमी के कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऋण वृद्धि में नरमी आई है। वृद्धिशील ऋण वृद्धि में व्यक्तिगत ऋण की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में घटकर 37 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 43 प्रतिशत थी, जबकि उद्योग की हिस्सेदारी का दायरा भी लगातार बढ़ रहा है। यह वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 17 प्रतिशत हो गया है, जो वित्त वर्ष 2024 में 11 प्रतिशत था।
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में ऋण वृद्धि का भी जिक्र किया गया है। एसबीआई के मुख्य समूह आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष के अनुसार ऋण वृद्धि में एक्स फैक्टर एमएसएमई क्षेत्र को दिया जाने वाला ऋण है, जो कि सालाना आधार पर 17.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसके अलावा, भारत के विभिन्न वर्गों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के साथ वित्त वर्ष 2024 में निजी ऋण सौदों की कुल राशि 774 बिलियन रुपए रही है, जो कि वित्त वर्ष 2023 की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।
बैंकिंग प्रणाली में 4 आर से आशय रिकवर, रिसॉल्व, रीकैपिटलाइज और रिफॉर्म होता है। य़ह रणनीति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों यानी पीएसबी में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई है। रिकवर के तहत गैर निष्पादित सम्पत्तियों से मूल्य की वसूली करना यानी डूबे हुए ऋणों से पैसे वापस प्राप्त किए जाते हैं। रिसॉल्व में संकटग्रस्त खातों की समस्या को हल करने का काम किया जाता है, इसमें एनपीए खातों को ठीक करने के लिए उपाय करना होता है। रीकैपिटलाइज के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को फिर से पूंजीकृत करने की प्रक्रिया की जाती है, जिसमें बैंक को मजबूत बनाने के लिए उसकी पूंजी में बढ़ोत्तरी का कार्य किया जाता है। वहीं, रिफॉर्म के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और समग्र वित्तीय प्रणाली में सुधार किया जाता है, जिससे की भविष्य में ऐसी समस्याएं न हों।
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