IT Department Notice:डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज को आईटी ने भेजा 2,395 करोड़ का नोटिस

Summary : देश की नामचीन फार्मास्यूटिकल कंपनी डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज को इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट की तरफ से 2,395 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस मिला है।  आईटी डिपार्टमेंट ने यह नोटिस डॉ. रेड्डी होल्डिंग लिमिटेड (डीआरएचएल) के साथ विलय को लेकर भेजा है।

नई दिल्लीः देश की नामचीन फार्मास्यूटिकल कंपनी डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज को इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट की तरफ से 2,395 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस मिला है।  आईटी डिपार्टमेंट ने यह नोटिस डॉ. रेड्डी होल्डिंग लिमिटेड (डीआरएचएल) के साथ विलय को लेकर भेजा है। कंपनी के अधिकारियों ने नोटिस मिलने के तुरंत बाद ही उसका रिव्यू करना शुरू कर दिया है। यही नहीं कंपनी ने विलय में किसी भी प्रकार का टैक्स बचाने की अनचाही प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के आरोपों से भी इनकार किया है। 

होल्डिंग कंपनी के विलय को एनसीएलटी ने दी मंजूरी

डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि कंपनी को 4 अप्रैल, 2025 को हैदराबाद के असिस्टेंट इनकम टैक्स कमिश्नर के ऑफिस से टैक्स संबंधी नोटिस प्राप्त हुआ है। इस नोटिस में कंपनी से सवाल किया गया है कि विलय के दौरान टैक्स से बचने वाली आय का आकलन क्यों न किया जाए। डीआरएचएल के डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज में विलय को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), हैदराबाद द्वारा 5 अप्रैल, 2022 को मंजूरी दी गई थी। हालांकि, स्वीकृत योजना के अनुसार विलय 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी हुआ है। फाइलिंग के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2,395.81 करोड़ रुपये का डिमांड नोटिस दिया है, जिसका जवाब देते हुए डॉ. रेड्डीज ने कहा कि विलय में सभी कानूनी और टैक्स-संबंधी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। उनका विश्वास है कि विलय में ऐसी कोई भी आय नहीं बचाई गई है, जिस पर टैक्स नहीं दिया गया है। यह भी जानकारी दी कि इस विलय में इनकम टैक्स एक्ट सहित सभी कानूनी आवश्यकताओं का पूर्ण अनुपालन किया गया है।

नोटिस का रिव्यू कर रही कंपनी

डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने कहा कि वह फिलहाल नोटिस को रिव्यू कर रहे हैं और अथॉरिटी को जरूरी जानकारी के साथ ही जवाब देंगे। विलय समझौते के अनुसार, कंपनी के प्रमोटर विलय से उत्पन्न होने वाली किसी भी देनदारी को वहन करने के लिए जिम्मेदार हैं। यही नहीं विलय के कारण टैक्स-संबंधी कोई भी समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में उन्हें कंपनी और उसके अधिकारियों को संरक्षण तथा सहायता भी प्रदान करना होगा। कंपनी ने यह आश्वासन भी दिया है कि वह मामले को गंभीरता से ले रही है और कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार ही इसे संभालेगी।

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