Indian aviation companies: उत्सर्जन को लगातार कम करने में जुटीं भारतीय विमानन कंपनियां

खबर सार :-
भारतीय विमानन कंपनियां अगले पांच वर्षों में उत्सर्जन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन करेंगी। अकासा एयर के सह-संस्थापक आदित्य घोष ने कहा कि आज से पांच साल बाद भारतीय विमानन की तुलना दुनिया के बाकी हिस्सों से करेंगे, तो पाएंगे क

Indian aviation companies: उत्सर्जन को लगातार कम करने में जुटीं भारतीय विमानन कंपनियां
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः विमानन उद्योग के प्रमुख लीडर्स ने भारतीय विमानन कंपनियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि भारतीय विमानन कंपनियां अगले पांच वर्षों में उत्सर्जन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन करेंगी। अकासा एयर के सह-संस्थापक आदित्य घोष ने कहा कि आज से पांच साल बाद भारतीय विमानन की तुलना दुनिया के बाकी हिस्सों से करेंगे, तो पाएंगे कि हम वास्तव में सबसे कम उत्सर्जन कर रहे हैं।

पांच साल बाद बदली नजर आएंगी स्थितियां

'इंडिया ट्रैवल एंड टूरिज्म सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव- 2025' में एक चर्चा में आदित्य घोष ने कहा कि मुझे निश्चित रूप से लगता है कि आज से पांच साल बाद जब आप भारतीय विमानन की तुलना दुनिया के बाकी हिस्सों से करेंगे, तो हम आसमान में सबसे यंग फ्लीट को उड़ा रहे होंगे, जिसका मूल रूप से गणित के अनुसार मतलब है, हम वास्तव में सबसे कम उत्सर्जन करेंगे। जब आप एयरक्राफ्ट ऑर्डर और एयरक्राफ्ट उड़ाने पर नजर डालेंगे तो, तकरीबन 2,000 दिनों के बाद हम एक देश के रूप में दुनिया में सबसे यंग फ्लीट को आसमान में उड़ा रहे होंगे। वर्तमान में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है। यह भी कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक भी है।

उत्सर्जन के मामले में योगदान

देश में उत्सर्जन के मामले में विमानन क्षेत्र का एक प्रतिशत का योगदान देता है, जो कि असल में वैश्विक औसत से भी कम है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकारा कि जैसे-जैसे भारत का विमानन क्षेत्र बढ़ेगा, उत्सर्जन भी तेजी से बढ़ेगा। इस अवसर पर स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि भारत विमानन क्षेत्र में दुनिया में सबसे कम उत्सर्जन करने वाले देशों में से एक बनने जा रहा है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विमानन भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे रोमांचक क्षेत्रों में से एक होगा। इस क्षेत्र में तेजी से विकास होगा। भविष्य में अधिक से अधिक लोग केवल एयरक्राफ्ट ही नहीं, अलग-अलग तरह के फ्लाइट्स उड़ाते दिखेंगे। एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रबंध निदेशक आलोक सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वित्त वर्ष 2023 में एयर एशिया इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के विलय से पहले फ्लीट का केवल 10 प्रतिशत हिस्सा ही न्यू जनरेशन का होता था, लेकिन अब हमने पिछले वित्त वर्ष की समाप्ति तक उसे 50:50 के अनुपात तक पहुंचा दिया है। इसका सीधा सा मतलब है कि 50 प्रतिशत नई जेनरेशन और 50 प्रतिशत पुरानी फ्लीट का इस्तेमाल होता है। हम उम्मीद करते हैं कि अगल वर्ष हम नई जनरेशन के इस हिस्से को दो-तिहाई यानी 66 प्रतिशत से अधिक करने का लत्क्ष्य हासिल कर लेंगे। 

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