India vs Pakistan: दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा भारत, बर्बादी की कगार पर पाकिस्तान

खबर सार : -
एक साथ आजाद हुए भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर पहुंचने के करीब है। वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बदहाल स्थिति से गुजर रही है। यहां के लोग भुखमरी की समस्या झेलने को मजबूर हैं। ऊपर से आतंकवाद समर्थिक पाकिस्तान सरकार की साजिशों ने जनता को युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है।

खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः वैश्विक बाजार में अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। विश्व बैंक से लेकर दुनिया की तमाम संस्थाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था में उत्तरोत्तर हो रही प्रगति का विश्लेषण किया है, साथ ही साल के आखिर तक विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बन जाने की उम्मीद जताई है। वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थित सरकार लगातार भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिशों में जुटी है। पाकिस्तान की चाल को अच्छी तरह से समझने और पहलगाम में सुनियोजित तरीके से किए गए आतंकी हमले का करारा जवाब भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने दिया है। सरकार का मकसद सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद समर्थित पाकिस्तान की सरकार को बेनकाब करना और उसकी सीमा के अंदर चल रहे आतंकी कैंपों को तबाह करना है। इसके साथ ही अपनी कूटनीतिक चालों से भारत सरकार पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब करने और तबाह करने में भी जुट गई है। भुखमरी से जूझ रहा पाकिस्तान आने वाले समय में पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।   

पाक सीमा में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर की एयर स्ट्राइक

'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत ने पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की है। भारत ने नौ आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की और पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया। भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान सहमा हुआ है। इस एयर स्ट्राइक का असर बुधवार को पाकिस्तान के शेयर बाजार में भी देखने को मिला। यहां पाकिस्तानी सेना की आर्थिक मोर्चे पर विफलता क लेकर 'हाहाकार' मचा हुआ है। पाकिस्तान की हालत फिसड्डी होती जा रही है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में जापान को पछाड़कर भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है और चालू वर्ष में जीडीपी का आकार 4.187 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के सभी पैमानों पर भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से मीलों आगे है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 688 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जबकि पाकिस्तान के पास केवल 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है और देश आर्थिक पतन की कगार पर है। अपने देश को चलाने के लिए पाकिस्तान लगातार आईएमएफ से लोन भी मांग रहा है।

पाकिस्तान की जनता भी परेशान

देश के वर्तमान हालात पर पाकिस्तान के नागरिकों की राय भी जुदा नहीं है। यहां के आम नागरिकों का कहना है कि एक साथ आजाद हुए दोनों देशों के बीच वर्तमान समय में बहुत बड़ा अंतर दिख रहा है। एक तरफ भारत देश है, जो आर्थिक विकास और समृद्धि के नए आयाम लिख रहा है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के करीब है। वहीं, पाकिस्तान आतंक का अड्डा बना हुआ है। वर्तमान समय में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।

भारत का जीडीपी 3.88 ट्रिलियन डॉलर

विश्व बैंक के 2024 के आंकड़ों पर गौर करें, तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 3.88 ट्रिलियन डॉलर के करीब है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (0.37 ट्रिलियन डॉलर) के आकार से 10 गुना अधिक है। आंकड़ों पर गौर करें, तो स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में अमेरिकी सहायता और तेल समृद्ध इस्लामी देशों से प्राप्त डोनेशन से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के समान ही बढ़ी थी, लेकिन एक तरफ जहां भारत ने आर्थिक विकास और लोगों को गरीबी से बाहर निकालने पर अपना ध्यान केंद्रित रखा। वहीं, पाकिस्तान में खूनी तख्तापलट और सैन्य तानाशाही की घटनाएं देखने को मिलीं। जहां सेना के जनरल अभी भी फैसले ले रहे हैं और भारत के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा दे रहे हैं। पाकिस्तान में आतंकवाद समर्थित सरकारें आतंकवादियों को अपने यहां पनाह देने के साथ ही उनका प्रशिक्षण और पोषण करने का काम भी करती रहीं हैं। इस बात को पाकिस्तान के सांसद और मंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं।

 मूडीज की रिपोर्ट में भी मिले खतरनाक संकेत

पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव पर मूडीज ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा था कि इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। भारत के साथ तकरार पाकिस्तान के लिए बाहरी वित्त पोषण तक पहुंच को बाधित कर सकती है। इसके अलावा, पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर अतिरिक्त दबाव भी आ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, तुलनात्मक रूप से भारत में व्यापक आर्थिक स्थितियां स्थिर रहेंगी, मजबूत सार्वजनिक निवेश और स्वस्थ निजी उपभोग के बीच विकास को मध्यम लेकिन अभी भी उच्च स्तर से बल मिलेगा।

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