नई दिल्लीः नया वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है। नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही आयकर (इनकमटैक्स) से जुड़े कई नियमों में बदलाव भी होने जा रहा है, जिसका सीधा असर नौकरी करने वालों की जेब पर पड़ेगा। इन नये नियमों में आयकर में अधिक छूट से लेकर स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस संबंधी नियमों में बदलाव शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट में नई टैक्स रिजीम का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत इनकम टैक्स में बढ़ाई गई छूट एक अप्रैल से लागू हो गई है। अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोग इनकम टैक्स छूट के दायरे में आएंगे। इसके अलावा, अगर वेतन पाने वाले लोगों को मिलने वाली 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट को जोड़ लिया जाए, तो इनकम टैक्स में छूट बढ़कर 12.75 लाख रुपये हो जाती है। हालांकि, इनकम टैक्स छूट में कैपिटल गेन को शामिल नहीं किया गया है। इस पर अलग तरह से टैक्स लगाया जाएगा। सरकार ने नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स के लिए नई स्लैब भी बनाई है, जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। अब नई टैक्स रिजीम के तहत 4 लाख रुपये तक की आय पर कोई भी इनकम टैक्स नहीं होगा, जबकि 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये के बीच की आय होने पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। आय बढ़ने के साथ टैक्स की दरें धीरे-धीरे बढ़ती जाएंगी और 24 लाख रुपये से अधिक इनकम पर यह 30 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।
केंद्र सरकार ने बजट में सेक्शन 87 ए के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है, जिससे नई टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री हो जाएगी। यही नहीं बैंक में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले टीडीएस की कटौती की लिमिट को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। अब बैंक जमा पर मिली 50,000 रुपये तक की राशि पर कोई टीडीएस नहीं कटेगा। 1 अप्रैल से नियोक्ताओं की ओर से दिए जाने वाले लाभ और भत्ते अब कर योग्य सुविधा की श्रेणी में नहीं माने जाएगा। यदि कोई नियोक्ता किसी कर्मचारी या उसके परिवार के लिए विदेश में चिकित्सा उपचार की लागत को वहन करता है, तो इस व्यय को भी कर योग्य लाभ नहीं माना जाएगा।
टैक्सपेयर्स के पास अब अपडेटेड आयकर रिटर्न (आईटीआर-यू) दाखिल करने के लिए दो के बजाय चार साल का समय होगा। इस अवधि में व्यक्तियों को अपनी कर फाइलिंग के दौरान होने वाली गलतियों को लंबे समय तक सुधारने की अनुमति मिल जाती है। माता-पिता के लिए एक नया टैक्स-बचत विकल्प पेश किया गया है। जो लोग अपने बच्चे के एनपीएस वात्सल्य खाते में योगदान करते हैं, वे पुरानी कर व्यवस्था के अनुसार 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती का दावा भी कर सकते हैं।
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