नई दिल्लीः देश भर में वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी का कलेक्शन और सक्रिय करदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। पांच साल में जीएसटी संग्रह बढ़कर दोगुना हो गया है। यह कर व्यवस्था वर्ष 2017 में 1 जुलाई को एक सशक्त और एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, जो निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में कारगर सिद्ध हुई है। जीएसटी को देश में लागू हुए 1 जुलाई 2025 को आठ साल पूरे हो जाएंगे। जीएसटी के साथ कर अनुपालन सरल होने के साथ-साथ कारोबारियों की लागत में भी कमी आई और माल को बिना किसी परेशानी के देश के एक राज्य से दूसरे में ले जाने की अनुमति मिली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली को देश में लागू करने के दौरान ही उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी थी। उन्होंने जीएसटी का परिचय 'नए भारत के एक मार्गदर्शक कानून' के रूप में दिया था। जीएसटी को आठ साल में जबरदस्त सफलता मिली है। इससे देश में कर संग्रह के आंकड़ों में लगातार वृद्धि हुई है। आधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें, तो जीएसटी कलेक्शन को लेकर बीते 5 वर्षों में करीब दोगुना की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश भर में वित्त वर्ष 2024-2025 में कुल 22.08 लाख करोड़ रुपए का जीएसटी कलेक्शन हुआ है। जबकि, वित्त वर्ष 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था। जीएसटी कलेक्शन में यह तेजी अनुपालन और आर्थिक गतिविधि में निरंतर वृद्धि दर्शाती है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, जीएसटी संग्रह के साथ-साथ सक्रिय करदाताओं की संख्या में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जो कि 30 अप्रैल 2025 तक बढ़कर 1,51,80,087 हो गए हैं।
केंद्र सरकार ने कर संग्रह की व्यवस्था को अत्यंत सरल बना दिया है। जीएसटी को एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य से पेश किया गया था। जीएसटी आने के साथ ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक कर दिया गया। जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे करों की जगह ले ली। इससे देश में कर प्रणाली में एकरूपता आई। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के वर्तमान स्ट्रक्चर में दरों के चार मुख्य स्लैब-5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। ये दरें देशभर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। हालांकि, मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी तय की गई हैं। जीएसटी की दर सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे एवं पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत लगती है।
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