मुंबईः अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टैरिफ को लेकर अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत, चीन, कनाडा और मैक्सिको की सरकारों ने अमेरिका पर ज्यादा टैक्स लगाए हैं, इसलिए हम भी उन पर ज्यादा टैरिफ लगाएंगे। अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ की समयसीमा नजदीक आने के साथ ही सोमवार को सोने की कीमतें पहली बार 3,106 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इस सुरक्षित निवेश की ओर निवेशकों का आकर्षण बढ़ रहा है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में अच्छा संकेत है।
आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल खुदरा निवेशकों द्वारा मांग बढ़ाने के कारण पीली धातु की कीमतों में 18 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है। गोल्डमैन सैक्स, बैंक ऑफ अमेरिका और यूबीएस ने मार्च के महीने सोने के लिए अपने कीमती लक्ष्यों को बढ़ा दिया है। बोफा ग्लोबल रिसर्च की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर गैर-व्यापसायिक खरीद में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो अगले 18 महीनों में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने की संभावना है। यह भी कहा गया है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने पोर्टफोलियो को और अधिक कुशल बनाने के लिए अपने सोने की होल्डिंग को मौजूदा औसतन 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत से अधिक करने में जुट गए हैं। वर्ष 2024 में भारत में सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली परिसंपत्ति वर्गों में से एक के रूप में उभरा है, जिसने सालाना आधार पर 21 प्रतिशत का शानदार रिटर्न भी दिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि गोल्ड ईटीएफ में रिकॉर्ड इनफ्लो होने के कारण भारतीय बाजार ने सोने में मजबूत निवेश रुचि दिखाई है। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के मुताबिक वर्ष 2024 में, भारतीय गोल्ड ईटीएफ में 112 बिलियन रुपये का शुद्ध प्रवाह देखा गया है, जिससे उनकी होल्डिंग में 15 टन से अधिक की वृद्धि हुई, जो वर्ष के अंत तक 57.8 टन तक पहुंच गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सोने के संचय का अपना ट्रेंड जारी रखा है। आरबीआई ने 2024 में अपने भंडार में 72.6 टन सोना जोड़ने में सफलता दर्ज की है, जिसकी वजह से उसका कुल भंडारण 876 टन हो गया है। आंकड़ों पर गौर करें, तो यह लगातार सातवां वर्ष है, जब आरबीआई सोने का शुद्ध खरीदार बनकर उभरा है। अब आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा 10.6 प्रतिशत तक हो गया है। सोने की ऊंची कीमतों ने आभूषणों की मांग को काफी प्रभावित किया है, वहीं फिजिकल गोल्ड, विशेष रूप से बार और सिक्कों की निवेश मांग भी मजबूत हुई है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई के पास मौजूद सोना पोर्टफोलियो में दीर्घकालिक रणनीतिक परिसंपत्ति के रूप में काम कर सकता है।
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