GDP Growth:2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर रहेगी 6.5 प्रतिशत

Summary : एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, वैश्विक बाजार में बढ़ते अमेरिकी टैरिफ की वजह से अभी भी विकास के लिए जोखिम बना हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति में नरमी से..

नई दिल्लीः वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर बड़ा ऐलान किया है। रेटिंग एजेंसी ने सोमवार 14 अप्रैल को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, वैश्विक बाजार में बढ़ते अमेरिकी टैरिफ की वजह से अभी भी विकास के लिए जोखिम बना हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की मौद्रिक नीति में नरमी से बाहरी चुनौतियों की कुछ भरपाई हो सकेगी। बैंकों में ब्याज दरों में कटौती, आयकर में राहत और महंगाई में कमी से इस वित्त वर्ष में खपत को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी तरफ अच्छे मानसून की वजह से कृषि आय भी बढ़ेगी।

GDP Growth:अमेरिकी टैरिफ का दिखेगा असर

क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमेपन की आशंका से कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट हुई है। इससे निश्चित तौर पर घरेलू विकास को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी टैरिफ में की गयी बढ़ोत्तरी के मद्देनजर क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान के लिए एक प्रमुख जोखिम बताया है, क्योंकि अनिश्चितता और टैरिफ में लगातार बदलाव निवेश में बाधा डाल सकते हैं। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में कैपिटल, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन गुड्स के आउटपुट में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इसकी वजह कंस्ट्रक्शन/ कैपिटल खर्च गतिविधियों में वृद्धि होना है। आरबीआई के नवीनतम 'तिमाही औद्योगिक परिदृश्य' सर्वेक्षण में चौथी तिमाही (वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही) में मांग में मजबूती देखी गई है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के संकेत

क्रिसिल की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आरबीआई के नवीनतम उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षणों में मार्च में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिले हैं। ये सभी कारक निश्चित तौर पर घरेलू मांग में सुधार की पुष्टि करते हैं। चौथी तिमाही में रबी की फसलों का अच्छा उत्पादन और मुद्रास्फीति में कमी भी उपभोग के स्तर पर बढ़ती मांग के लिए अच्छा संकेत हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापी जाने वाली औद्योगिक वृद्धि दर, जनवरी के 5.2 प्रतिशत (5.0 प्रतिशत से संशोधित) से फरवरी में धीमी होकर 2.9 प्रतिशत हो गई थी, जिसका कारण खनन और विनिर्माण क्षेत्रों में उत्पादन में आई वृद्धि थी, जबकि बिजली क्षेत्र में पहले से बेहतर वृद्धि दर्ज की गई। यह भी कहा गया है कि औसतन, फरवरी तक चौथी तिमाही में आईआईपी वृद्धि 4.0 प्रतिशत रही, जो मोटे तौर पर दिसंबर तिमाही में दर्ज 4.1 प्रतिशत के अनुरूप है।
 

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