नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में सरकार ही नहीं बल्कि सरकारी संस्थाएं और आम जनता भी पूरा सहयोग कर रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से नए आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार आठवें सप्ताह बढ़कर 688.13 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है। 25 अप्रैल तक के आंकड़ों में अंतिम सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.98 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। भंडार का विदेशी मुद्रा घटक 2.17 बिलियन डॉलर बढ़कर 580.66 बिलियन डॉलर हो गया। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा भंडार का स्वर्ण भंडार घटक 207 मिलियन डॉलर घटकर 84.37 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि विशेष आहरण अधिकार 21 मिलियन डॉलर बढ़कर 18.59 बिलियन डॉलर हो गया।
वैश्विक बाजार में अनिश्चितता के माहौल और एलओसी पर जारी तनाव के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों में भी उछाल आया है। भारतीय मुद्रा रुपये की कीमतों में वैश्विक बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद करने के लिए आरबीआई काफी सक्रिय है। आरबीआई के पुनर्मूल्यांकन और विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के कारण बीते कुछ महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का रुख बना हुआ है। इसके साथ ही वैश्विक बाजार में रुपये की वैल्यू में पिछले दो महीनों में काफी बदलाव आया है। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा के भंडारण में भी तेजी आई है। आंकड़ों पर गौर करें, तो आरबीआई के पास सितंबर 2024 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.885 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जो कि सर्वकालिक उच्च स्तर माना गया है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में किसी भी तरह की मजबूती से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए को मजबूती मिलती है, यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। यही नहीं, आरबीआई को रुपए में उतार-चढ़ाव आने पर उसे स्थिर करने के लिए गुंजाइश भी अधिक मिलती है। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार आरबीआई को रुपये की कीमतें गिरने से रोकने के लिए अधिक डॉलर जारी करने के लिए मौजूदा और अग्रिम मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने में भी सक्षम बनाता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि घटते विदेशी मुद्रा भंडार से आरबीआई के पास रुपए को सहारा देने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की जगह भी बहुत कम बचती है।
भारत में होने वाला विदेशी निवेश पहले के मुकाबले अधिक मजबूत हुआ है और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के साथ ही विश्व व्यापार की धीमी गति के बावजूद वित्त वर्ष 2024-25 में कुल निर्यात भी बढ़ा है, जो कि 824.9 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह पिछले वर्ष के 778.1 बिलियन डॉलर के निर्यात आंकड़े की तुलना में 6.01 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। सेवा निर्यात ने विकास की गति को जारी रखा है, जो कि 2024-25 में 387.5 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष के 341.1 बिलियन डॉलर से 13.6 प्रतिशत अधिक माना जा रहा है। आरबीआई की ओर से जारी नए आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2025 के लिए, सेवा निर्यात 35.6 बिलियन डॉलर था, जो कि मार्च 2024 में 30.0 बिलियन डॉलर की तुलना में 18.6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाता है।
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