DBT Scheme: डीबीटी से जनता के बैंक खाते में पहुंचे 43.3 लाख करोड़

खबर सार :-
केंद्र सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी स्कीम के जरिए अब तक 43.3 लाख करोड़ रुपये सीधे आम जनता के खाते में भेजे जा चुके हैं। इससे आम जनता को सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक मदद में पारदर्शिता आई है। अब किसी भी योजना के तहत मिलने वाला सरकार

DBT Scheme:  डीबीटी से जनता के बैंक खाते में पहुंचे 43.3 लाख करोड़
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम और जन धन योजना का लाभ सीधे तौर पर आम नागरिकों को मिल रहा है। इससे निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ ही सरकार की योजनाओं में पारदर्शिता की भावना को बढ़ावा मिल रहा है। केंद्र सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी स्कीम के जरिए अब तक 43.3 लाख करोड़ रुपये सीधे आम जनता के खाते में भेजे जा चुके हैं। इससे आम जनता को सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक मदद में पारदर्शिता आई है। अब किसी भी योजना के तहत मिलने वाला सरकारी फंड सीधे लाभार्थी तक पहुंच रहा है।

फरवरी में जारी हुई थी किसान सम्मान निधि की 19वीं किश्त 

केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने 21 अप्रैल तक 43,35,808 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे आम जनता के बैंक खातों में भेज दी है। वित्त वर्ष 2025 में डीबीटी के माध्यम से केंद्र सरकार ने 6.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी ट्रांसफर की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त जारी की थी। इस योजना में 9.8 करोड़ किसानों को बिना किसी बिचौलियों की मदद के डीबीटी के माध्यम से 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे बैंक खाते में मिली थी। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, डीबीटी सिस्टम आने के बाद से कमीशनखोरी या लीकेज रोकने में मदद मिली है। इससे कम से कम 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है।

DBT Scheme: लाभार्थी कवरेज में 16 गुना की वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए डायरेक्ट टू बेनिफिट सिस्टम के बाद से लाभार्थी कवरेज में 11 करोड़ से 176 करोड़ तक 16 गुना की वृद्धि हुई है। डीबीटी सिस्टम के माध्यम से सारा पैसा अब सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जाता है। इस कारण लाभार्थियों को मिलने वाले धन की चोरी और कमीशनखोरी पर काफी हद तक रोक लग गई है, जिसके परिणामस्वरूप कुल खर्च में सब्सिडी आवंटन की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत रह गई है। एक अध्ययन में कहा गया है कि डीबीटी ने लीकेज पर अंकुश लगाने और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देने के साथ फंड वितरण को लेकर सटीकता सुनिश्चित करने का काम बखूबी किया है। यह निश्चित तौर पर कल्याणकारी योजना है। बता दें, वर्ष 2009-10 में कल्याण बजट में 2.1 लाख करोड़ रुपये से 2023-24 में 8.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि के बावजूद सब्सिडी आवंटन में गिरावट दर्ज की गई है, जो कि डीबीटी की सफलता को दर्शाता है। इसके साथ ही आधार कार्ड को बैंक खातों और पैन कार्ड से जोड़ने की वजह से फर्जी लाभार्थियों की संख्या को कम करने में मदद मिली है, जिससे राजकोषीय व्यय के बिना कवरेज का विस्तार हो सका है।

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