नई दिल्लीः भारतीय अर्थवस्था को लेकर क्रिसिल संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 के दौरान भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.3 प्रतिशत रहेगी। इसके अलावा खाद्य, ईंधन और कोर मुद्रास्फीति क्रमशः 4.6, 2.5 और 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी क्रिसिल भारत की सबसे पुरानी और प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है, जो 1987 में स्थापित हुई थी। क्रिसिल का मुख्य कार्य कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और सरकारी निकायों की ऋण योग्यता का मूल्यांकन करना और उन्हें उसी के हिसाब से रेटिंग देना होता है। यह रेटिंग निवेशकों को जोखिम का आकलन करने और सूचित निर्णय लेने में मदद करती है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में हमें उम्मीद है कि रबी की अच्छी बुआई, वैश्विक खाद्य कीमतों में नरमी और सामान्य से अधिक मानसून होने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी। पिछले साल का उच्च आधार खाद्य मुद्रास्फीति को नीचे की ओर खींचेगा। भारतीय मौसम विभाग ने इस वित्त वर्ष के लिए सामान्य से अधिक मानसून का अनुमान लगाया है, जिससे खरीफ की फसलों को लाभ होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि गैर-खाद्य मुद्रास्फीति वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी की उम्मीद के साथ सामान्य रहेगी। हालांकि, गर्मी और दूसरे मौसम संबंधी व्यवधानों को लेकर सतर्क रहना जरूरी होगा। दरअसल, जब हम मुद्रास्फीति की दर के बारे में बात करते हैं, तो इसका सीधा सा मतलब अक्सर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर से होता है। जो उन वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करने का काम करता है, जिन्हें कोई भी परिवार अपने दैनिक उपभोग के लिए खरीदता है।
आरबीआई से बीपीएस में दो बार कटौती की उम्मीद
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वित्त वर्ष में कम से कम दो बार 25 बीपीएस की कटौती करेगा, क्योंकि विकास के लिए बढ़ते जोखिम के बीच मुद्रास्फीति बहुत कम है। उम्मीद है कि कम ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 10 साल की सरकारी सुरक्षा पर प्रतिफल को मार्च 2025 में 6.7 प्रतिशत से मार्च 2026 तक 6.4 प्रतिशत तक कम कर देगा। यही नहीं, वित्त वर्ष 2025 के लिए हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में 5.4 प्रतिशत से घटकर 4.6 प्रतिशत हो गई। यह नरमी वित्त वर्ष 2024 में 4.3 प्रतिशत के मुकाबले 3.5 प्रतिशत पर रिकॉर्ड कम कोर मुद्रास्फीति के कारण हुई, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत के मुकाबले अस्थिर और 7.3 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर रही।
हालांकि, वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में गैर-खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने और खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट के साथ ट्रेंड में बड़ा उलटफेर देखा गया है। यह भी कहा गया है कि मार्च में मुद्रास्फीति का 3.3 प्रतिशत का आंकड़ा नीति निर्माताओं को विकास के लिए बढ़ते जोखिम के बीच राहत प्रदान करता है। आंकड़ों पर गौर करें, तो फरवरी में 3.7 प्रतिशत की तुलना में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 2.7 प्रतिशत रह गई, जिसका कारण सस्ती सब्जियां और दालें हैं। इस सर्दी के मौसम में सब्जियों की कीमतों में भी कमी आई है, जिससे पिछले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट आई है।
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