Big Disclosure: बंद पड़ी कंपनी ने 30,000 ईवी बनाने का लिया ऑर्डर

खबर सार : -
रतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जेनसोल इंजीनियरिंग के परिचालन में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया है। जब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की टीम ने पुणे स्थित कंपनी के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्र में छापा मारा, तो वहां ईवी विनिर्माण से जुड़ी किसी

खबर विस्तार : -

महाराष्ट्र: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जेनसोल इंजीनियरिंग के परिचालन में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया है। जब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की टीम ने पुणे स्थित कंपनी के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्र में छापा मारा, तो वहां ईवी विनिर्माण से जुड़ी किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं दिखी। यहां तक कि संयंत्र में ईवी निर्माण से जुड़ी सामग्री और पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों का भी अभाव था। संयंत्र में मात्र दो से तीन कर्मचारी ही मौजूद थे। 

बिजली बिल की समीक्षा के दौरान पकड़ में आया मामला

रिपोर्ट के मुताबिक 15 अप्रैल को जारी एक अंतरिम आदेश के अनुसार, ये खुलासे जून 2024 में बाजार नियामक को मिली एक शिकायत मिलने के बाद हुए हैं, जिसमें शेयर मूल्य में बड़े स्तर पर हेरफेर किए जाने और कंपनी पर धन के दुरुपयोग से जुड़े आरोप लगाये गये थे। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की टीम ने 9 अप्रैल को पुणे के चाकन में स्थित जेनसोल के ईवी प्लांट-जेनसोल इलेक्ट्रिक व्हीकल प्राइवेट लिमिटेड का निरीक्षण किया था। इस दौरान, एनएसई की जांच टीम में मौजूद अधिकारियों ने प्लांट में केवल 2-3 मजदूरों की मौजूदगी देखी। यहां ईवी से संबंधित किसी भी प्रकार का उत्पादन कार्य होने या भविष्य में शुरू होने का कोई भी संकेत नहीं मिला।

एनएसई की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद सेबी ने गंभीरतापूर्वक पिछले वर्ष के बिजली बिलों की भी समीक्षा की, जिसमें पाया गया कि दिसंबर 2024 में महावितरण द्वारा लिया गया उच्चतम शुल्क 1,57,037.01 रुपये था, जो कि जांच टीम की रिपोर्ट से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है। अब सेबी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि डेटा पट्टे पर दी गई साइट पर किसी भी प्रकार के ईवी विनिर्माण की गतिविधि नहीं हो रही थी। 

बड़े स्तर पर रची गई थी साजिश

दरअसल, जेनसोल कंपनी ने 28 जनवरी, 2025 को घोषणा की थी कि उसने भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में प्रदर्शित 30,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्री-ऑर्डर प्राप्त कर लिए हैं। जब सेबी द्वारा दस्तावेजों की जांच कई गई, तो पता चला कि ये दावे 29,000 इकाइयों के लिए नौ संस्थाओं के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर आधारित थे। एमओयू में मूल्य निर्धारण और डिलीवरी की समयसीमा का कहीं कोई जिक्र ही नहीं था, जबकि यह सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु होता है। इस घटना के बाद सेबी ने अपने आदेश में कहा कि यह प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि कंपनी निवेशकों को भ्रामक खुलासे कर रही थी। इसी तरह कंपनी ने कई अन्य कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारी को लेकर भी भ्रामक जानकारियां दी थीं, जिसके बारे में विवरण प्रस्तुत करने में भी वह असफल रहा था। 

सेबी की जांच में प्रमोटर-निदेशक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी द्वारा कंपनी के फंड के दुरुपयोग और डायवर्जन की ओर इशारा किया गया। ऐसे खुलासे होने के बाद बाजार नियामक ने जेनसोल और उसके प्रमोटरों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। जग्गी बंधुओं को किसी भी प्रमुख प्रबंधन या बोर्ड-स्तरीय भूमिका को संभालने से रोक दिया गया है और उन्हें अगले नोटिस तक प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। सेबी ने कंपनी को अपने प्रस्तावित 1:10 स्टॉक विभाजन को रोकने का भी निर्देश दिया। इसके बाद, दोनों प्रमोटरों ने अपने निदेशक पदों से इस्तीफा दे दिया है।
 

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