नई दिल्लीः केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना का अब व्यापक असर दिखने लगा है। भारत स्टार्टअप के क्षेत्र में बड़ी ही तेजी के साथ तरक्की कर रहा है। तकनीकी रूस से मजबूती का असर अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है। इसलिए सरकार इनोवेशन को बढ़ावा देने पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है। उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई के महासचिव और सीईओ डॉ. रणजीत मेहता ने बताया कि केंद्रीय आम बजट में घोषित 10,000 करोड़ रुपए के डीप टेक फंड को देश के इनोवेशन इकोसिस्टम में बड़े बदलावों के लिए खर्च किया जाएगा। यह फंड एआई, रोबोटिक्स और मैन्युफैक्चरिंग में डीप टेक स्टार्टअप्स को सशक्त बनाएगा और देश को ग्लोबल टेक लीडर के रूप में उभरने में मदद करेगा। यह पहल स्वास्थ्य क्षेत्र में जुड़ी टेक्नोलॉजी और सरकारी टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों को गति प्रदान करने का काम करेगी, साथ ही डिजिटल इंडिया के विजन के साथ मजबूती से जुड़ने में भी सहायक होगी।
डॉ. रणजीत मेहता ने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के पास पंजीकृत स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1.5 लाख तक हो गई है, जो साल 2016 में 400 पर थी। अब स्पेस टेक्नोलॉजी और एआई इनोवेशन में देश की स्थिति को मजबूत करने के लिए आत्मनिर्भर भारत और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दूरदर्शी नीतियों का समर्थन पाकर भारत की युवा आबादी अब ग्लोबल इनोवेशन को आगे बढ़ा रही है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में पेश आम बजट में डीप टेक स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) स्थापित करने का ऐलान किया था। डीप टेक एफओएफ, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स (एफएफएस) के तहत आता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय स्टार्टअप्स के लिए 10,000 करोड़ रुपए की दूसरी फंड ऑफ फंड्स स्कीम (एफएफएस) का एक बड़ा हिस्सा न्यू एज टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन बिल्डिंग जैसे सेक्टरों के लिए आवंटित करने का फैसला किया है। सिडबी एफएफएस 'स्टार्टअप इंडिया' पहल के तहत सरकार द्वारा प्रोत्साहित तीन प्रमुख योजनाओं में से एक है।
किस तरह काम करता है एफएफएस
दरअसल, फंड ऑफ फंड्स स्कीम यानी एफएफएस को 16 जनवरी 2016 को लॉन्च किया गया था। यह सीधे स्टार्टअप में निवेश करने की बजाय वैकल्पिक निवेश कोष में निवेश करने का काम करता है। इसके माध्यम से सिडबी ने अब तक वेंचर कैपिटल और वेंचर डेट फर्मों में 11,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है, जिसमें स्टेलारिस वेंचर पार्टनर्स, संजय नायर की सोरिन इन्वेस्टमेंट्स, फायरसाइड वेंचर्स, चिराटे वेंचर्स, ट्राइफेक्टा कैपिटल और अल्टेरिया कैपिटल शामिल हैं।
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