फेस्टिव डिमांड और जीएसटी रेट कट का असरः डिपॉजिट ग्रोथ से आगे निकली 'बैंक क्रेडिट ग्रोथ'

खबर सार :-
फेस्टिव डिमांड, जीएसटी रेट कट और मजबूत उपभोक्ता गतिविधियों ने बैंक क्रेडिट ग्रोथ को नई ऊंचाई दी है। हालांकि, डिपॉजिट ग्रोथ में सुस्ती और लिक्विडिटी टाइट होने से बैंकिंग सिस्टम पर दबाव भी बढ़ा है। आने वाले महीनों में क्रेडिट मांग का यह रुझान बरकरार रह सकता है, लेकिन डिपॉजिट में सुधार लाना बैंकों के लिए अहम चुनौती रहेगा।

फेस्टिव डिमांड और जीएसटी रेट कट का असरः डिपॉजिट ग्रोथ से आगे निकली 'बैंक क्रेडिट ग्रोथ'
खबर विस्तार : -

Bank Credit:  देश में फेस्टिव सीजन की रौनक, जीएसटी दरों में कटौती और एमएसएमई व रिटेल सेक्टर की बढ़ती गतिविधियों ने बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट की मांग को जोरदार गति दी है। केयर एज रेटिंग्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर तक बैंक क्रेडिट ग्रोथ सालाना आधार पर 11.5 प्रतिशत बढ़कर 192.1 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जबकि इसी अवधि में डिपॉजिट ग्रोथ 9.5 प्रतिशत की रही। इससे साफ है कि इस बार क्रेडिट ग्रोथ ने डिपॉजिट ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया है।

फेस्टिव सीजन और रिटेल एक्टिविटी ने बढ़ाई मांग

रिपोर्ट बताती है कि इस वर्ष फेस्टिव डिमांड ने बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट ग्रोथ को मजबूती दी। वाहन वित्त (व्हीकल फाइनेंसिंग) में बढ़ोतरी और उपभोक्ता ऋणों की मांग में वृद्धि के चलते समग्र क्रेडिट ग्रोथ को बल मिला है। जीएसटी दरों में कटौती से उपभोग बढ़ा है, जिससे व्यापारियों और एमएसएमई क्षेत्र में लोन की जरूरत बढ़ी है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, बढ़ते बॉन्ड यील्ड और कॉरपोरेट्स की निवेश रुचि भी इस वृद्धि के प्रमुख कारण हैं।

डिपॉजिट ग्रोथ में गिरावट, कैश निकासी में उछाल

केयर एज रेटिंग्स के अनुसार, कुल एग्रीगेट डिपॉजिट 238.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन इसमें क्रमिक रूप से लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट फेस्टिव सीजन में बढ़ी नकद निकासी और करेंसी सर्कुलेशन में वृद्धि से जुड़ी है, जो सालाना आधार पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ी। इसके अलावा, ब्याज दरों में कटौती के कारण कुछ निवेशक फिक्स्ड डिपॉजिट से हटकर अन्य निवेश विकल्पों जैसे म्यूचुअल फंड और बॉन्ड्स की ओर रुख कर रहे हैं।

क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो 80 प्रतिशत के पार

रिपोर्ट में बताया गया कि बैंकिंग सेक्टर का क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो 80.4 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो बीते 15 दिनों में 80 प्रतिशत मार्क को पार कर गया। यह आंकड़ा बैंकिंग सिस्टम में क्रेडिट की तेज मांग को दर्शाता है।

लिक्विडिटी टाइट, बढ़ा कॉल रेट

बढ़ती क्रेडिट डिमांड के बीच बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति टाइट होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, शॉर्ट-टर्म वेटेड एवरेज कॉल रेट (WACR) 15 दिनों में 5.47 प्रतिशत से बढ़कर 5.53 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो कि रेपो रेट (5.50 प्रतिशत) से तीन बेसिस प्वाइंट ऊपर है। इसका अर्थ है कि बैंकों के बीच उधारी की लागत बढ़ी है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वेरिएबल रेपो रेट ऑपरेशन (VRR) के जरिए लिक्विडिटी को संतुलित रखने की कोशिश कर रहा है।

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