कृषि विश्वविद्यालय आयोजित करेंगे कार्यशालाएं, प्रमुख सचिव ने दिए ये निर्देश

खबर सार : -
कुछ खास उत्पाद और उनकी टैगिंग मसलों पर कृषि विश्वविद्यालयों को प्रमुख सचिव कृषि की ओर से जिम्मेदारी दी गई है। सरकार किसानों को ज्यादा लाभ देने के लिए प्रयास कर रही है।

खबर विस्तार : -


लखनऊः उत्तर प्रदेश में स्थानीय उत्पादों को मान्यता देने एवं उनकी विशेषता के आधार पर जियो टैगिंग कर जीआई टैग दिलाने के लिए प्रशिक्षण एवं परिचर्चा कार्यक्रम कृषि भवन में शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम में प्रमुख सचिव, कृषि रवींद्र ने सभी उपस्थित कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने आस-पास उपलब्ध विशेष पहचान वाले उत्पादों को पहचानकर उसके साक्ष्य एकत्रित करें और इसे जीआई टैग दिलाने का प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद की जीआई टैग कराने से मिलने वाले लाभ के संबंध में सभी कृषि विश्वविद्यालयों को इस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित करना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता हो तो पदमश्री डॉ. रजनीकान्त द्विवेदी से सहयोग ले सकते हैं। यह एक प्रकार से समाज के प्राचीन विशेषताओं को पहचान विकसित करने एवं समाज की समृद्धि विकसित करने का गौरवशाली कार्य है। प्रशिक्षण एवं परिचर्चा के दौरान डॉ. रजनीकान्त द्विवेदी, पद्मश्री जीआई मैन ने सभी लोगों को वर्तमान जीआई की प्रगति को उदाहरण के साथ समझाया।

क्यों है विकसित करने की जरूरत?

इसकी कानूनन मान्यता का औचित्य, लाभ एवं उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही देश-प्रदेश में स्थानीय स्तर पर प्रचलित स्थानीय उत्पाद की पहचान करने, उसको जीआई मान्यता दिलाने एवं मान्यता प्राप्त होने के पश्चात इसके स्थानीय आर्थिक विकास के लिए व्यापार के रूप में विकसित करने की संभावना के बारे में भी बताया गया। इस अवसर पर सचिव कृषि इन्द्र विक्रम सिंह, विशेष सचिव कृषि ओपी वर्मा, निदेशक कृषि, अपर कृषि निदेशक, तिलहन, भूमि संरक्षण, गेहूं एवं मोटा अनाज, कृषि रक्षा, मुख्यालय के अन्य अधिकारी, मंडलीय संयुक्त कृषि निदेशक एवं कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक की मौजूद रहे।