लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी। सबसे अहम फैसला आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती को लेकर हुआ। अब सरकार ऐसे कर्मचारियों की भर्ती 3 साल के लिए करेगी। इसके अलावा कर्मियों को आरक्षण और मातृत्व अवकाश की भी सुविधा मिलेगी। मंत्रिपरिषद ने 16 में से 15 प्रस्तावों पर सहमति जताई। लखनऊ-कानपुर में 20 रूटों पर ई-बसें चलेंगी। एक बस की कीमत 10 करोड़ रुपये होगी। इसका किराया सरकार तय करेगी। ये बसें चारबाग से बाराबंकी, बालागंज से मोहनलालगंज जैसे रूटों पर चलेंगी। एक रूट पर एक ही बस चलेगी। इसके अलावा आउटसोर्सिंग कॉरपोरेशन को मंजूरी दी गई है। प्रदेश सरकार ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए आरक्षण व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि इस फैसले से राज्य में आउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्त कर्मचारियों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। इससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा।
आउटसोर्सिंग निगम के गठन को मंजूरी देते हुए मंत्री ने कहा कि आउटसोर्सिंग के लिए एक नया निगम बनाया जाएगा। कैबिनेट ने इसके गठन को हरी झंडी दे दी है। इस निगम के तहत नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग नहीं होगी, बल्कि केवल संविदा आधारित पदों पर ही नियुक्तियां की जाएंगी। इन कर्मचारियों का मानदेय 16,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया है। आउटसोर्सिंग के लिए एजेंसी का चयन तीन साल के लिए किया जाएगा।
सरकार अब विभागों के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारियों की भर्ती करेगी। इसके अलावा, कर्मचारियों का वेतन हर महीने सीधे उनके बैंक खाते में जमा होगा। पहले यह सेवा प्रदाता के खाते में जाता था। इस नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलेगा। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में आरक्षण के नियम लागू होंगे। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को लाभ होगा।
इसके साथ ही, महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश का भी प्रावधान किया गया है। यह उनके लिए बड़ी राहत है। मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि यह फैसला प्रदेश के विकास और जनकल्याण को नई दिशा देगा। सरकार का उद्देश्य आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अन्य वर्गों को आरक्षण दिया जाएगा।
यूपी में नई इलेक्ट्रॉनिक नीति भी लागू हो गई है। आठ वर्षों में मोबाइल निर्माण इकाइयों की संख्या बढ़कर 300 हो गई है, जबकि पहले यह केवल दो थी। पूरे देश के आधे से ज़्यादा मोबाइल हैंडसेट यूपी में बनते हैं। इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी के तहत अब उच्च मूल्य के कंपोनेंट यूपी में ही बनेंगे। डिस्प्ले मॉड्यूल, कैमरा मॉड्यूल, इलेक्ट्रो मैकेनिकल मॉड्यूल, बैटरी सेल, मशीनें भी यहीं बनेंगी। कैबिनेट ने 2025 से 2030 तक निर्यात प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दी। स्वामी सुखदेवानंद विश्वविद्यालय अब राज्य विश्वविद्यालय बन जाएगा।
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