जिला कारागार में बंदियों का कर्तव्य और मेहनताना: परिवार की सहायता और सजा में छूट

खबर सार :-
झांसी जिला कारागार में बंदी अपने कौशल के अनुसार काम करके न केवल सजा के दौरान परिवार की मदद करते हैं, बल्कि उनकी मेहनत की वजह से सजा में भी छूट मिल सकती है। उन्हें हर दिन के हिसाब से मेहनताने के रूप में पैसे मिलते हैं, जो वे अपने परिवार को भेजते हैं।

जिला कारागार में बंदियों का कर्तव्य और मेहनताना: परिवार की सहायता और सजा में छूट
खबर विस्तार : -

झांसी: जिला कारागार में कुछ बंदी अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए सजा के दौरान भी काम कर रहे हैं। वे जेल मैनुअल के अनुसार अपनी कुशलता के हिसाब से विभिन्न कार्यों में संलग्न होते हैं, और इन कार्यों के बदले में उन्हें मेहनताने के रूप में पैसे मिलते हैं, जिन्हें वे अपने परिवार को भेजते हैं। यह प्रक्रिया न केवल उनके परिवार की सहायता करती है, बल्कि उनकी सजा में भी छूट दिलाने का एक जरिया बनती है।

 बंदियों को मिलती है मेहनताने के साथ सजा में छूट

जेल मैनुअल के अनुसार, बंदियों को उनकी कौशल के आधार पर विभिन्न कार्यों में लगाया जाता है। इस काम के बदले में उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना मिलता है, कुशल बंदियों को Rs. 81, अर्धकुशल को Rs. 60 और अकुशल बंदियों को  Rs. 40 प्रतिदिन मिलते हैं। इन बंदियों को फर्नीचर निर्माण, टेडी बेयर सिलाई, खेती, खाना पकाना, साफ-सफाई और भवन निर्माण जैसे विभिन्न कामों में लगाया जाता है। इन कामों के लिए उन्हें प्रशिक्षण और आवश्यक सामग्री मुहैया कराई जाती है। इसके बदले में उन्हें जो पैसे मिलते हैं, वे अपने परिजनों, मित्रों या अधिवक्ताओं के माध्यम से घर भेज देते हैं।

परिवार की सहायता और सजा में छूट

इस प्रक्रिया से बंदियों के परिवारों को आर्थिक सहायता मिलती है, जिससे उनका भरण पोषण और जीवनयापन संभव होता है। इसके अलावा, इन बंदियों का कार्य जेल की 'गुड बुक' में दर्ज किया जाता है, जिससे उनकी सजा में छूट मिलने की संभावना बढ़ जाती है। जब बंदी न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन करते हैं, तो उनका कार्य विवरण भी पेश किया जाता है, जो न्यायालय द्वारा उनकी सजा कम करने में अहम भूमिका निभाता है। जेल में बंदियों के लिए मनोरंजन और शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है। वे टेलीविजन देख सकते हैं और पढ़ाई के लिए जेल के पुस्तकालय से किताबें ले सकते हैं। इसके साथ ही, बंदियों को साहित्य, कहानी आदि की किताबों का भी अवसर मिलता है, जिससे उनका मानसिक विकास होता है और वे सजा के दौरान खुद को व्यस्त रखते हैं।

जेल अधीक्षक का बयान

झांसी जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक, विनोद कुमार ने कहा कि जेल में जो बंदी काम करते हैं, उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार कार्य दिया जाता है और इसके अनुसार उनका मेहनताना तय किया जाता है। इस मेहनताने को वे अपने परिजनों के पास भेजते हैं, और यदि ये बंदी जमानत के लिए आवेदन करते हैं, तो न्यायालय उनके काम को देखकर सजा में कुछ कमी करने पर विचार कर सकता है। इस कारण से, बंदी अपनी सजा के दौरान काम करने में रुचि रखते हैं और उनके परिवार को भी इसका फायदा मिलता है।

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