वक्फ़ संशोधन विधेयक पर जदयू के रुख से नाराज लखनऊ महानगर उपाध्यक्ष आसिफ रिजवी ने दिया इस्तीफा, पार्टी पर विश्वासघात का आरोप

Summary : जनता दल यूनाइटेड (नीतीश कुमार) के लिए बड़ा राजनीतिक झटका सामने आया है। पार्टी के लखनऊ महानगर उपाध्यक्ष आसिफ रिजवी ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर पार्टी के समर्थन से आहत होकर इस्तीफा दे दिया है।

लखनऊः जनता दल यूनाइटेड (नीतीश कुमार) के लिए बड़ा राजनीतिक झटका सामने आया है। पार्टी के लखनऊ महानगर उपाध्यक्ष आसिफ रिजवी ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर पार्टी के समर्थन से आहत होकर इस्तीफा दे दिया है। रिजवी ने सार्वजनिक रूप से पार्टी पर मुस्लिम समाज के साथ विश्वासघात का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम उनके आत्मसम्मान और जनता की भावना के अनुरूप है। 

मेरी आत्मा मुझे अब इस पार्टी में बने रहने की अनुमति नहीं देतीः आसिफ

अपने त्यागपत्र में रिजवी ने स्पष्ट शब्दों में लिखा, “बिहार में मुस्लिम समाज ने नीतीश कुमार और जदयू पर भरोसा करते हुए समर्थन दिया था। लेकिन जिस तरह वक़्फ़ संशोधन विधेयक का समर्थन किया गया, वह सीधे-सीधे मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक संपत्ति पर चोट है। यह केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ है।”  उन्होंने आगे कहा, “समाज के लोग मुझसे लगातार सवाल कर रहे हैं कि आखिर जदयू ने मुसलमानों के साथ ऐसा विश्वासघात क्यों किया? इन प्रश्नों का जवाब मेरे पास नहीं है। मेरी आत्मा मुझे अब इस पार्टी में बने रहने की अनुमति नहीं देती। इसलिए मैं न सिर्फ अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूँ, बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी त्याग रहा हूँ।” बता दें कि हाल ही में संसद में पारित वक़्फ़ संशोधन विधेयक को लेकर देश भर में मुस्लिम समाज में नाराजगी देखी जा रही है। कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे समुदाय के अधिकारों का हनन बताया है। जदयू के विधेयक के समर्थन में खड़े रहने के निर्णय ने पार्टी के भीतर ही विरोध की लहर पैदा कर दी है।

आगामी चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन को लेकर नई चुनौती

आसिफ रिजवी से पहले भी पार्टी के कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर असहमति जताई थी और इस्तीफा दिया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर जदयू नेतृत्व ने जल्द स्पष्ट और संवेदनशील रुख नहीं अपनाया, तो यह मामला उसके अल्पसंख्यक आधार को गहराई से प्रभावित कर सकता है। इस घटनाक्रम ने जदयू के लिए आगामी चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन को लेकर नई चुनौती खड़ी कर दी है।
 

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