Solar Panels on Railway Tracks: भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास, ट्रेन की पटरियों के बीच लगाए सोलर पैनल

खबर सार :-
Solar Panels on Railway Tracks: रेलवे पटरियों के बीच 70 मीटर तक कुल 28 सौर पैनल लगाए गए हैं। इन सभी सौर पैनलों को हटाया भी जा सकता है और इनकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता 15 किलोवाट बताई जा रही है।

Solar Panels on Railway Tracks: भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास, ट्रेन की पटरियों के बीच लगाए सोलर पैनल
खबर विस्तार : -

Solar Panels on Railway Tracks: इंडियन रेलवे ने रेल की पटरियों पर सौर पैनल लगाकर एक नया इतिहास रच दिया है। देश में यह पहला प्रयोग किया गया है, जहां चल और मजबूत सौर पैनल सीधे रेल की पटरियों पर लगाए गए हैं। इससे बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह परियोजना फिलहाल पायलट स्तर पर शुरू हुई है और इसे आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की मंज़ूरी का इंतजार है। इस तकनीक को अपनाकर भारत अब स्विट्जरलैंड और जर्मनी के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है, जिसने पटरियों पर सौर पैनल लगाए हैं।

 पटरियों के बीचों-बीच लगाए गए पैनल

दरअसल यह कारनामा बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में किया गया है। बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के अनुसार, सौर पैनलों को एक खास तरीके से तैयार किया गया है। इन्हें रबर पैड और एपॉक्सी ग्लू की मदद से पटरियों के बीचों-बीच लगाया गया है। जरूरत पड़ने पर पैनल को 90 मिनट में हटाकर दोबारा लगाया जा सकता है, जिससे ट्रैक का रखरखाव भी आसानी से किया जा सकता है। प्रत्येक पैनल का वजन लगभग 32 किलोग्राम है और इसका आकार 2.2 मीटर x 1.1 मीटर है। 

इस परियोजना के तहत, BARC ने सक्रिय रेलवे ट्रैक के बीच भारत का पहला रिमूवेबल 15 किलोवाट का सौर पैनल सिस्टम स्थापित किया है। इसके साथ ही, BARC के पास पहले से ही 3859 किलोवाट की अधिकतम क्षमता वाला एक सौर ऊर्जा संयंत्र है, जो हर साल लगभग 42 लाख यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन करता है।

 सालाना 3.19 लाख यूनिट बिजली का हो सकेगा उत्पादन 

बनारस रेल इंजन कारखाना रेल इंजन और अन्य महत्वपूर्ण मशीनों के निर्माण का एक बड़ा केंद्र है। शुरुआत 1961 में हुई थी। पहले यह कारखाना डीजल इंजन बनाता था। लेकिन पर्यावरण संरक्षण और बिजली की बचत के उद्देश्य से, रेल पटरियों के बीच सौर पैनल लगाने की शुरुआत की गई थी और आने वाले दिनों में इस परियोजना का और विस्तार किया जाएगा। ट्रेनों के संचालन पर करोड़ों रुपये की लागत से कई यूनिट बिजली की खपत होती है।

इस पहल के जरिए यह प्रोजेक्ट कुछ सालों बाद कारगर साबित हो सकता है। बनारस रेल इंजन कारखाना के जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने साफ तौर पर कहा कि इस परियोजना की मदद से सालाना 3.19 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। बरेका के बाद इसे अन्य रेलवे स्टेशनों और प्लेटफार्म यार्डों पर भी लगाया जाएगा।

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