तमिलनाडु: बारिश से केले के बागान चौपट, कार्तिगई दीपम से पहले पत्तों के दाम बेकाबू

खबर सार :-
तमिलनाडु में भारी बारिश के कारण केले के बागानों की तबाही ने बाजार में सप्लाई संकट पैदा कर दिया है। होलसेल और रिटेल दोनों स्तरों पर केले के पत्तों की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं, जिससे त्योहार, विवाह और होटल उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। जबकि थेनि जिला एक अपवाद रहा, अधिकांश क्षेत्रों में किसान नुकसान और व्यापारी महंगाई की दोहरी मार झेल रहे हैं।

तमिलनाडु: बारिश से केले के बागान चौपट, कार्तिगई दीपम से पहले पत्तों के दाम बेकाबू
खबर विस्तार : -

Cyclone Ditwah Impact: तमिलनाडु में हालिया तेज हवाओं और भारी बारिश ने सैकड़ों एकड़ में फैले केले के बागानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है। विशेष रूप से थूथुकुडी के एरल व कुरुंबूर, तिरुनेलवेली के कलक्कड़, और तेनकासी जिले के पावूरचत्रम व अलंगुलम जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में फसलों का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया। इससे कार्तिगई दीपम त्योहार से ठीक पहले केले के पत्तों की सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। किसानों के अनुसार, इस बार नुकसान इतना अधिक है कि कई खेतों में पूरी फसल गिर चुकी है, जिससे बाजार में पत्तों की उपलब्धता एकदम घट गई है।

होलसेल कीमतों में रिकॉर्ड उछाल

सप्लाई में आई भारी गिरावट का सीधा असर मंडियों पर पड़ा। कई होलसेल मार्केट्स में 200–240 पत्तों वाले एक बंडल की कीमत 3,200 से 3,500 रुपये तक पहुंच गई, जबकि बारिश से पहले यह रेट 600 रुपये से ज्यादा नहीं था। आयुध पूजा के समय कीमतों का बढ़ना आम बात है, लेकिन किसानों का कहना है कि यह पहली बार है जब त्योहार के अलावा केवल बारिश से हुए नुकसान के कारण इतनी तेज बढ़ोतरी देखी गई है। मदुरै के मट्टुथवानी सेंट्रल मार्केट में 200 पत्तों का बंडल 1,000–1,500 रुपये में बिका, जबकि नागरकोइल एपीपीटीए मार्केट में 150 पत्तों का बंडल 800–1,000 रुपये में बेचा गया—जो सामान्य दिनों में 250–300 रुपये होता है। तिरुचि के गांधी मार्केट में भी कीमतें बढ़कर 1,000 रुपये प्रति बंडल पहुंच गईं, और व्यापारियों का कहना है कि यह बढ़ोतरी केवल एक दिन में ही दर्ज की गई।

रिटेल दुकानों में भी महंगाई की मार

होलसेल की उछाल का असर रिटेल बाजारों में भी साफ दिखा। चेन्नई और मदुरै जैसी शहरों की रिटेल दुकानों में पांच पत्तों का एक सेट 80–90 रुपये में बिका। आम दिनों में यही कीमत 20–25 रुपये के आसपास रहती है। शादी-ब्याह की तैयारियों, होटल व्यवसाय और कैटरिंग यूनिट्स को इस महंगाई का बड़ा झटका लगा है, क्योंकि तमिलनाडु में खाने परोसने में केले के पत्तों का व्यापक उपयोग होता है।

थेनि जिला बना अपवाद

राज्यभर में कीमतों की आग के बीच थेनि जिला एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा जहां दामों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। स्थानीय किसानों ने लगातार कटाई और पर्याप्त सप्लाई के जरिए बाजार को स्थिर रखा। वहीं, तंजावुर जिले में लगातार तीन दिन तक बारिश के कारण कटाई रुकने से 100 पूरे पत्तों की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गईं।

गहरी चिंता में किसान और व्यापारी

किसानों का कहना है कि भारी नमी के कारण कटे हुए पत्तों में भी खराबी बढ़ रही है, जिससे परिवहन योग्य मात्रा कम हो गई है। व्यापारी भी भविष्य के लिए चिंतित हैं, क्योंकि यदि बारिश की स्थिति नहीं सुधरी तो आगामी सप्ताहों में कीमतें और बढ़ सकती हैं।

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