लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में राम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में एक सितंबर सोमवार को एलएलबी छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के मामले में पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने सीओ सिटी हर्षित चौहान को हटा दिया है। जबकि नगर कोतवाली के इंस्पेक्टर आरके राणा के साथ ही गदिया चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया गया है। पूरे मामले की जांच आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को सौंपी गई है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आरएन विश्वविद्यालय में प्रदर्शन कर रहे एलएलबी छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। कमिश्नर अयोध्या को डिग्री की वैधता की जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। लाठीचार्ज मामले की जांच आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को दी गई है।
वहीं, इस घटना से आक्रोशित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ में विधानसभा का घेराव किया और नारेबाजी की। पुलिस ने जब उन्हें हटाने की कोशिश की तो वे सड़क पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस सभी को एक वैन में भरकर इको गार्डन ले गई।
गौरतलब है कि सोमवार को एलएलबी की मान्यता के लिए छात्र और एबीवीपी कार्यकर्ता शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें 25 से ज़्यादा छात्र घायल हो गए। इनमें से कुछ की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें इलाज के लिए लखनऊ रेफर करना पड़ा।
आरएन यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान छात्र अभिषेक बाजपेई, प्रदेश सह मंत्री अनुराग मिश्रा, जिला संयोजक अभय शंकर पांडे, महानगर सह संयोजक अंकित पांडे, लक्ष्मी पांडे, वैष्णवी सिंह, आराध्या सिंह, सलाउद्दीन, शक्ति सिंह, अमन सिंह, अंकित पांडे, विवेक मिश्रा,नवीन, अर्पित शुक्ला, आशुतोष राय, प्रत्यूष पांडे, अंकुर अवस्थी, सिद्धार्थ तिवारी, विदित प्रताप सिंह, योगेश सिंह, अभय शुक्ला, पुष्पा गौतम, अमित पाठक, आकाश मिश्रा समेत दो दर्जन से अधिक छात्र गंभीर रूप से शामिल हैं। पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज में घायल हो गये, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
राम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में हुए हंगामे पर रजिस्ट्रार प्रो. नीरजा जिंदल ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर छात्रों में भ्रम फैला रहे हैं कि एलएलबी पाठ्यक्रम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं मिली है। जो सही नहीं है। सत्र 2022-23 के लिए अनुमोदन संबंधी दस्तावेज काउंसिल की वेबसाइट पर अपलोड है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने 2027 तक चार काउंसिलों को अनुमोदन संबद्धता शुल्क का भुगतान भी कर दिया है। छात्रों में फैले भ्रम को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय ने एक शपथ पत्र भी जारी किया है। भविष्य में किसी भी छात्र को पाठ्यक्रम की स्वीकृति या डिग्री की वैधता संबंधी कोई समस्या नहीं होगी। विश्वविद्यालय प्रत्येक छात्र के सुरक्षित भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है।
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