अल फलाह यूनिवर्सिटी फाउंडर जावेद सिद्दीकी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, ईडी की जांच में कई बड़े खुलासों की उम्मीद

खबर सार :-
अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जावेद सिद्दीकी की 14 दिन की न्यायिक हिरासत से जांच के और गहराने की संभावना है। ईडी अब यह पता लगाने में जुटी है कि फर्जी मान्यता और गलत तरीके से जुटाई गई करोड़ों की रकम का इस्तेमाल कहां और कैसे हुआ। अदालत की अगली सुनवाई तक एजेंसी कई अहम जानकारियां पेश कर सकती है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी फाउंडर जावेद सिद्दीकी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, ईडी की जांच में कई बड़े खुलासों की उम्मीद
खबर विस्तार : -

AI Falah University: हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अदालत के आदेश के बाद अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को तय की गई है। इससे पहले ईडी ने जावेद सिद्दीकी को 13 दिनों की रिमांड पर लिया था, जिसके दौरान कई अहम दस्तावेजों की जांच और पूछताछ की गई।

पहले ईडी को 13 दिन की रिमांड, अब न्यायिक हिरासत

साकेत कोर्ट में सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी प्रधान ने 20 नवंबर को ईडी की मांग पर सिद्दीकी को 13 दिन की रिमांड पर भेजने का आदेश दिया था। अदालत ने माना कि ईडी ने पीएमएलए के तहत तय प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए लंबी रिमांड आवश्यक है। अब 14 दिन की न्यायिक हिरासत के दौरान ईडी आगे की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी।

लाल किले के पास हुए आतंकी हमले से जुड़ा मामला

जावेद सिद्दीकी को 19 नवंबर को उस मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया, जिसका संबंध दिल्ली में लाल किले के पास हुए आतंकी हमले से जोड़ा जा रहा है। ईडी का आरोप है कि यूनिवर्सिटी की फर्जी मान्यता और भ्रामक दावों के जरिए जुटाई गई भारी रकम का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों में किया गया हो सकता है।

यूनिवर्सिटी के फर्जी मान्यता मॉडल का बड़ा खुलासा

अब तक की जांच में सामने आया कि अल फलाह यूनिवर्सिटी ने कई वर्षों तक छात्रों को भ्रमित कर न सिर्फ एडमिशन लिए, बल्कि उनसे भारी-भरकम फीस भी वसूली। रिमांड नोट के अनुसार संस्था द्वारा पिछले दशक में करोड़ों रुपए की इनकम दिखाई गई, जिनमें अनियमितताओं के कई संकेत मिले। आईटीआर विश्लेषण से सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में क्रमशः 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपए को वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन बताया गया था। लेकिन 2016-17 के बाद यही आय एजुकेशनल रेवेन्यू के रूप में दिखने लगी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ और 2024-25 में 80.01 करोड़ रुपए की इनकम दर्ज की गई। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस दौरान कुल लगभग 415.10 करोड़ रुपए की राशि फर्जी मान्यता और झूठे दावों के जरिए जुटाई गई।

छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का आरोप

ईडी का कहना है कि विश्वविद्यालय ने बिना वैध मान्यता के कोर्स चलाकर छात्रों के भविष्य, विश्वास और उम्मीदों के साथ गंभीर खेल किया। दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर शुरू हुई जांच अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से आगे बढ़ रही है, जिसमें कई नए पहलुओं के खुलासे की उम्मीद है।

 

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