Sultanpur Medical College : जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित होते ही यहां के डॉक्टरों ने अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। हाल ही में ऐसी कई जटिल सर्जरी हुई हैं जो जिले के लिए एक नया अनुभव लेकर आई हैं। कई निजी नर्सिंग होम और सेंटर मरीजों का आर्थिक शोषण तब तक करते रहे, जब तक उनके पास कुछ भी शेष नहीं रहा। जब मरीज की हालत बेहद गंभीर हो जाती है और उनके बचने की उम्मीद कम होती है, तो उन्हें अन्यत्र जाने का फरमान सुना दिया जाता है। ऐसे में थक-हारकर परिजन सिर्फ जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज का ही सहारा लेते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ऐसी ही एक घटना बीती रात सामने आई। एक निजी नर्सिंग होम ने ममता मौर्य को तब बाहर का रास्ता दिखा दिया, जब उनके पेट में लगभग 3 लीटर खून का थक्का जम गया था और डेढ़ माह का गर्भ भी खराब हो गया था। ममता की हालत इतनी नाजुक थी कि निजी अस्पताल के संचालकों ने हाथ खड़े कर दिए। परिजन ममता को लेकर सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज (Sultanpur Medical College) पहुंचे। डॉक्टरों ने तुरंत ममता की गंभीर स्थिति को देखते हुए एक टीम तैयार की और ऑपरेशन शुरू किया। वरिष्ठ एनेस्थेटिक्स डॉ. निशिकांत गुप्ता, डॉ. अंजली चौधरी, ओटी टेक्निशियन इरफान, स्टाफ नर्स सुमन गौतम, नमिता यादव, और वार्ड आया पिंकी यादव के अथक प्रयासों से दो घंटे चला यह ऑपरेशन सफल रहा।
मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों की टीम की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा, "हमारे लिए ये डॉक्टर भगवान से कम नहीं हैं, जिनकी वजह से आज हम अपने मरीज को अपने बीच देख पा रहे हैं।" यह घटना सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज की बढ़ती क्षमताओं और मरीजों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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