Ayurvedic Remedies: आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में इंसान का खान-पान और जीवन शैली बुरी तरह से गड़बड़ा गई है। किसी के पास समय का अभाव है, तो किसी के पास समय है, तो साधन नहीं है, इसलिए वह चाहकर भी अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। ऐसे में व्यक्ति अनेकों प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। आजकल फैटी लिवर की समस्या आम होती जा रही है। खुद को पूरी तरह स्वस्थ समझने वाला व्यक्ति भी अगर अपना फुल बॉडी चेकअप करवाता है, तो उसमें अनेकों प्रकार की कमियां निकल आती हैं। इनमें लिवर फैटी होने की समस्या आम हो चुकी है। तो आइए हम आपको बताते हैं, फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा पाने का सबसे आसान और उपयोगी नुस्खा.....
हमारा संयमित खान-पान, नियमित जीवनशैली और भरपूर नींद अच्छी सेहत के लिए जरूरी है। हमारी भूख लगने पर कुछ भी खा लेने की आदत खतरनाक साबित हो रही है। ऐसा करने वालों का लिवर फैटी होने यानी यकृत में चर्बी जमने की समस्या आम लेकिन गंभीर बनती जा रही है। हालांकि, शुरुआत में इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। लेकिन, धीरे-धीरे थकान, पेट में भारीपन, अपच, मितली और मन भारी महसूस होना जैसे संकेत दिखाई देते हैं। समय पर ध्यान न देने पर यकृत की कार्यक्षमता कमजोर हो सकती है।
आयुर्वेद में यकृत को पित्त का मुख्य केंद्र माना जाता है। पित्त असंतुलित होने, कफ बढ़ने और अग्नि मंद होने पर मेद धातु सही तरीके से पच नहीं पाती और चर्बी यकृत में जमा हो जाती है। आयुर्वेद के अनुसार फैटी लिवर के मुख्य कारणों में तला-भुना, मीठा, मैदा, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, देर रात भोजन, तनाव, कम नींद, व्यायाम की कमी, मोटापा और शराब शामिल हैं।
फैटी लिवर के लक्षणों में पेट में भारीपन (विशेषकर दाईं तरफ), गैस, अपच, मितली, भूख में बदलाव, थकान, सुस्ती, सुबह पेट भारी होना, जीभ पर सफेद परत और पेट पर चर्बी शामिल हैं। शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज न करना चाहिए।

फैटी लिवर की समस्या से बचने के लिए अनहेल्दी फूड, देर रात भोजन और शराब से परहेज करें। हल्का, गरम और पचने में आसान भोजन लें, जैसे मूंग दाल, लौकी, तोरी, परवल, पालक और हल्दी-जीरा-धनिया-सौंफ। पपीता, सेब और गुनगुना पानी लाभकारी हैं। योग और हल्की कसरत भी जरूरी हैं। सुबह 15 मिनट धूप में बैठना, भोजन के बाद वज्रासन, अनुलोम-विलोम और 4-6 सूर्य नमस्कार करें। रात जल्दी सोना भी महत्वपूर्ण है।
भूमि आमला रस, कलमेघ चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पुनर्नवा चूर्ण और एलोवेरा रस यकृत के लिए फायदेमंद हैं। घरेलू नुस्खों में जीरा-धनिया-सौंफ का पानी, लौकी सूप, नींबू जल, अलसी के बीज, अदरक रस और हल्दी शामिल हैं। ये पाचन सुधारते हैं, यकृत पर भार कम करते हैं और सूजन घटाते हैं।
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