जैश-ए-मोहम्मद ने बनाई महिला ब्रिगेड, मसूद अजहर की बहन सादिया को मिली कमान

खबर सार :-
जैश-ए-मोहम्मद द्वारा बनाई गई महिला ब्रिगेड ‘जमात-उल-मोमिनात’ आतंकी संगठनों की खतरनाक रणनीति में नया मोड़ है। मसूद अजहर की बहन सादिया के नेतृत्व में यह ब्रिगेड महिलाओं को सक्रिय आतंकी अभियानों में शामिल करने की योजना है। इससे पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति भूमिका और गहरी होती है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

जैश-ए-मोहम्मद ने बनाई महिला ब्रिगेड, मसूद अजहर की बहन सादिया को मिली कमान
खबर विस्तार : -

Women Terror Brigade: दुनिया भर में आतंकियों की शरणस्थली के रूप में मशहूर पाकिस्तान में आतंकियों ने बड़ा धमाका किया है। इस बार  पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए ‘जमात-उल-मोमिनात’नामक पहली महिला आतंकी ब्रिगेड की स्थापना की है। यह महिला ब्रिगेड कुख्यात आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के नेतृत्व में काम करेगी। सादिया का पति यूसुफ अजहर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों की सटीक कार्रवाई में मारा गया था। यह ऑपरेशन 7 मई को मरकज सुभानअल्लाह बहावलपुर में हुआ था।

आतंकी ढांचे में खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआत

सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के आतंकी ढांचे में एक खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआत है। अब तक आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे संगठन महिलाओं को आत्मघाती हमलों और लड़ाकू मिशनों में शामिल करते रहे हैं, लेकिन दक्षिण एशियाई आतंकी संगठन जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन इससे परहेज करते आए थे। इस नई महिला ब्रिगेड के गठन की घोषणा खुद जैश प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वैश्विक आतंकी मौलाना मसूद अजहर के नाम से जारी एक पत्र के माध्यम से की गई।

‘अल-कलम मीडिया’ पर वायरल हो रहा लेटर

जैश के प्रचार मंच ‘अल-कलम मीडिया’ पर आतंकी मसूद अजहर के नाम से जारी पत्र प्रसारित किया गया है। इस पत्र में बताया गया है कि 8 अक्टूबर से पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में इस ब्रिगेड की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह मरकज लंबे समय से जैश का प्रमुख ठिकाना रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, जो पहले से ही दुनिया में आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है, अब एक नया और चिंताजनक मोड़ ले रहा है। यह महिलाओं को आतंकवाद में शामिल कर अपनी आतंकी गतिविधियों का विस्तार करने की साजिश कर रहा है।

भर्ती और संचालन का दायरा बढ़ाने में जुटा आतंकी संगठन

खुफिया सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने अब महिलाओं की अलग विंग बनाने का निर्णय लिया है ताकि भर्ती और संचालन का दायरा बढ़ाया जा सके। सूत्रों के अनुसार, ‘जमात-उल-मोमिनात’ में भर्ती के लिए जैश ने अपने कमांडरों की पत्नियों, रिश्तेदार महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर युवतियों को निशाना बनाया है, जो जैश के धार्मिक शिक्षण केंद्रों में पढ़ाई कर रही हैं। इन केंद्रों में बहावलपुर, कराची, मुझफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसहरा जैसे शहर शामिल हैं। जैश-ए-मोहम्मद अब तक महिलाओं को सशस्त्र जिहाद या लड़ाकू अभियानों से दूर रखता था, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद संगठन ने अपनी विचारधारा में बड़ा बदलाव किया है।

महिला ब्रिगेड को मंजूरी, ट्रेनिंग सेंटर शिफ्ट

जानकारी के अनुसार, मसूद अजहर और उसका भाई तल्हा अल-सैफ ने मिलकर इस महिला ब्रिगेड के गठन को मंजूरी दी है। यह निर्णय जैश की नई परिचालन संरचना का हिस्सा है। जैश का यह कदम इस बात का संकेत देता है कि वह महिला आत्मघाती दस्तों को प्रशिक्षित कर भविष्य के आतंकी अभियानों में इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंसियां इस नई रणनीति को लेकर सतर्क हैं और इसे आतंकी संगठनों की भर्ती एवं कट्टरपंथीकरण प्रक्रिया में चिंताजनक विकास के रूप में देख रही हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में आतंकी ढांचे में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन ने अपने प्रशिक्षण और कैंपो को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।

आतंकी संगठनों की सुरक्षित पनाहगाह

इनके बाद, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य-प्रायोजित और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, ने भी अपनी प्रमुख प्रशिक्षण और संचालन सुविधाओं को और दूरी पर, यानी खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में स्थानांतरित कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, ये संगठन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब प्रांत से हटकर यह कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि भविष्य में भारत की सटीक हवाई कार्रवाइयों और प्रिसिशन स्ट्राइक्स से बचा जा सके। यह बदलाव इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान अब भी आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है, और अब वह अपने आतंकी ढांचे को छिपाकर अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचाने की कोशिश कर रहा है।

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