लखनऊः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि धर्म ऐसा हो जिसे धारण किया जा सके। हमें धर्म रक्षा के लिए लड़ना है। मोहन भागवत रविवार को लखनऊ में दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अर्जुन के गंभीर प्रश्नों का उत्तर ही गीता है। हमें गीता पढ़नी चाहिए, समझनी चाहिए और मनन करना चाहिए। इससे हमें सदा सर्वदा उपाय मिलते हैं। गीता हमें समस्या से भागने के बजाय, उससे लड़ना सिखाती है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर हमें सफलता अवश्य मिलती है। उत्तम विचार चाहिए तो उत्तम अधिष्ठान होना आवश्यक है। यदि अपना पुरुषार्थ मजबूत है, तो भाग्य भी साथ है।
डॉ. भागवत ने कहा कि कोई भी छोटा कार्य जो निष्काम से किया गया हो, वह धर्म है। आपने भक्तिपूर्वक कर्म करने का आह्वान किया। विश्व में शांति की स्थापना को गीता के माध्यम से ही किया जा सकता है। दुविधाओं से बाहर निकलकर राष्ट्र की सेवा करना ही हमारा परम कर्तव्य है जिसे गीता के माध्यम से जीवन में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें 700 श्लोकों के माध्यम से प्रतिदिन वाचन करना चाहिए। उनके माध्यम से जीवन में सीख लेंगे तो कल्याण हो जाएगा। आज दुनिया को असमंजस की स्थिति में गीता के माध्यम से सही दिशा दी जा सकती है। यदि जीवन में शांति, संतोष नहीं होगा तो समस्या होगी। भारत की परम्परा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था है। भारत में सत्य के निकट बैठकर ज्ञान प्राप्त करने का निचोड़ श्रीमद्भगवद्गीता में है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने सभी जन मानस का स्वागत करते हुए गीता से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि धर्म रिलीजियस नहीं है, बल्कि धर्म का अर्थ है कर्तव्य विशेष। आज कर्तव्य से अधिक अधिकार की बात होती है। कर्त्तव्य से हम स्वयं को समर्पित करते हैं। आपने कहा कि दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव के माध्यम से समाज का जागरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोक को भारत का हर सनातन धर्मावलंबी जीवन का मंत्र मानकर आदर भाव के साथ आत्मसात करने का प्रयास करता है।
श्रीमद्भगवद्गीता नई प्रेरणा देती दिखाई देती है। श्रीमद्भगवद्गीता धर्म से ही शुरू होती है और अंत में भी उसी मर्म के साथ विराम लेती है। उन्होंने कहा कि गीता धर्म की वास्तविक प्रेरणा है। हमने धर्म को उपासना विधि मात्र नहीं माना है। उपासना विधि उसका छोटा सा भाग है। हर व्यक्ति अपने पंथ, संप्रदाय, उपासना विधि के अनुरूप आस्था को तय कर लेता है, लेकिन मुख्य रूप से धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है। हमने इसे ही ‘वे ऑफ लाइफ’ के रूप में कहा है। श्रीमद्भगवद्गीता भगवान की दिव्य वाणी है। सीएम ने श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः’ सुनाया। वहीं, दिव्यांग बच्चों ने गीता का पाठ किया और 121 बटुकों ने मंत्रोच्चार से मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल जी, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार अनिल जी समेत समाज के अनेकों वर्गों के अतिविशिष्ट अतिथि और बड़ी संख्या में साधु और संत समाज से जुड़े लोग उपस्थित रहे।
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