Legacy of Indira Gandhi : निर्णायक नेतृत्व, बड़े बदलाव और भारत की दिशा तय करने वाली प्रधानमंत्री

खबर सार :-
Legacy of Indira Gandhi : इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में भारत ने युद्ध में ऐतिहासिक जीत, परमाणु परीक्षण, हरित क्रांति, बैंक राष्ट्रीयकरण और अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी प्रगति की। उनके साहसिक निर्णय, विवादास्पद आपातकाल, सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति समर्पण ने भारतीय राजनीति और विकास पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

Legacy of Indira Gandhi : निर्णायक नेतृत्व, बड़े बदलाव और भारत की दिशा तय करने वाली प्रधानमंत्री
खबर विस्तार : -

Legacy of Indira Gandhi : भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके मजबूत, निर्णायक और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए आज याद किया जा रहा है। लगभग दो दशकों तक देश की बागडोर संभालने वाली इंदिरा ने न केवल भारतीय राजनीति की दिशा बदली, बल्कि आर्थिक, सैन्य, तकनीकी और सामाजिक क्षेत्रों में कई ऐतिहासिक कदम उठाकर दशा भी बदली। राजनीति इंदिरा के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा थी, क्योंकि उनका जन्म कांग्रेस के सक्रिय आंदोलनकारी माहौल में हुआ था। समय के साथ राजनीति उनके खून में थी और धीरे-धीरे सियासी दांवपेंच में वह  परिपक्व होती गई और वे भारतीय लोकतंत्र की सबसे प्रभावशाली नेताओं में शामिल हो गईं।

Legacy of Indira Gandhi : सियासी विरोधियों ने उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कहा 

1966 में जब इंदिरा गांधी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला, तब देश चीन युद्ध की पीड़ा, 1965 के पाक युद्ध और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा था। शुरुआत में सियासी विरोधियों ने उन्हें ‘गूंगी गुड़िया’ कहकर कम आंका, लेकिन बहुत जल्द उन्होंने अपने स्वतंत्र फैसलों और दृढ़ इच्छाशक्ति से खुद को एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित कर दिया।

Legacy of Indira Gandhi : बैंकों के राष्ट्रीयकरण के निर्णय से बनी मजबूत नेता की छवि

1969 में 14 प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण का निर्णय उनके राजनीतिक साहस का प्रतीक बन गया। यह कदम न केवल कांग्रेस के भीतर शक्ति संतुलन बदलने वाला था, बल्कि देश में आर्थिक न्याय की नींव भी मजबूत करने वाला था।  इसके बाद कांग्रेस में एक बड़ा विभाजन हुआ और इंदिरा गांधी ने एक नई दिशा के साथ अपनी सियासी राह तय की। गरीबी को मिटाना उनका प्रमुख एजेंडा बना और योजनाबद्ध विकास की प्रक्रिया को उन्होंने जनहित की प्राथमिकता के आधार पर नया रूप दिया।

Legacy of Indira Gandhi : 1971 में पाक के दो टुकड़े, बनी अन्तरराष्ट्रीय पहचान

1971 का भारत-पाक युद्ध उनकी नेतृत्व क्षमता का सबसे बड़ा प्रमाण बना, जिसमें भारत ने अभूतपूर्व ऐतिहासिक जीत हासिल की और पाक के दो टुकड़े कर पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के रूप में गठन हुआ। यह जीत इंदिरा गांधी को विश्व राजनीति में एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करने वाली घटना बनी। इसी अवधि में उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

Legacy of Indira Gandhi : इंदिरा के नेतृत्व में देश ने विकास के क्षेत्र में लगाई विशाल छलांग

विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी उनके नेतृत्व में देश ने विशाल छलांग लगाई। 1974 में पोखरण में पहला शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण और 1975 में भारत का पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ अंतरिक्ष में भेजा जाना उनके संकल्प का प्रतीक थे। बाद में एसएलवी-3 लॉन्च ने भारत को अंतरिक्ष तकनीक में नई पहचान दिलाई।

Legacy of Indira Gandhi : आपातकाल जैसे विवादित फैसले भी लिए

हालाँकि 1975 का आपातकाल उनके राजनीतिक जीवन का सबसे विवादित अध्याय भी रहा। प्रेस पर नियंत्रण, नागरिक स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध और प्रशासनिक कठोरता की देश में जबरदस्त आलोचना हुई। लेकिन इंदिरा गांधी ने अगले चुनाव में हार स्वीकार कर लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान भी दिखाया। 1980 में वे दोबारा सत्ता में लौटीं, जिसने जनता के भरोसे को फिर साबित कर दिया। 

Legacy of Indira Gandhi : इंदिरा की थी देश को मजबूत राष्ट्र बनाने की चाह

कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति को गति देकर उन्होंने भारत को खाद्यान्न के मामले में मजबूत आधार दिया। रक्षा क्षेत्र में आधुनिकीकरण, सैनिक कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी। स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, शिक्षा, खेल और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में भी उन्होंने कई बड़े सुधार किए। 1982 के एशियाई खेलों की मेजबानी उनके उस व्यापक दृष्टिकोण का ही हिस्सा थी, जिसमें भारत को वैश्विक मंच पर अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करना शामिल था।

सामाजिक सौहार्द, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता को उन्होंने हमेशा सर्वाेच्च मूल्य माना। उनका विश्वास था कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है, और यही विविधता देश को एक बड़े परिवार की तरह जोड़ती है। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में इंदिरा गांधी ने आर्थिक आत्मनिर्भरता, सैन्य क्षमता, वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक समानता को मजबूत करने के लिए साहसी कदम उठाए। वे मानती थीं कि भारत को अपनी शक्ति और सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए एक समावेशी, शांतिपूर्ण और मजबूत राष्ट्र बनना चाहिए।
 

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