Judge Suspension: दिल्ली हाईकोर्ट ने जज संजीव कुमार सिंह को किया सस्पेंड, आचरण की रिपोर्ट पर लिया निर्णय

खबर सार :-
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जज संजीव कुमार सिंह को निलंबित करने का निर्णय उनके आचरण में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों के बाद लिया गया है। इस मामले में वित्तीय लेन-देन और यौन शोषण मामले में पीड़िता पर दबाव डालने के आरोप हैं। इस प्रकरण की विस्तृत जांच की जा रही है और भविष्य में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना बनी हुई है।

Judge Suspension: दिल्ली हाईकोर्ट ने जज संजीव कुमार सिंह को किया सस्पेंड, आचरण की रिपोर्ट पर लिया निर्णय
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निर्णय उनके आचरण के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट मिलने के बाद लिया गया। इस रिपोर्ट में कुछ वित्तीय लेन-देन और वकील पर दबाव डालने के आरोप थे, साथ ही एक मामले में पीड़िता पर "समझौता" करने का दबाव डालने का भी आरोप था।

न्यायाधीश का निलंबन

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश एक फुल कोर्ट मीटिंग में लिया। मीटिंग के दौरान संजीव कुमार सिंह के खिलाफ मिली रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला किया गया। कोर्ट ने कहा कि वह संजीव कुमार सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें दिल्ली छोड़ने से मना किया गया और इस दौरान उन्हें साकेत कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कार्यालय में अटैच किया गया है।

आरोपों का विस्तृत विवरण

सूत्रों के अनुसार, संजीव कुमार सिंह पर आरोप हैं कि उन्होंने कुछ वित्तीय लेन-देन में अनियमितताएं की और एक मामले में वकील पर दबाव डाला। इसके अलावा, उन्होंने यौन शोषण के एक मामले में पीड़िता को समझौता करने के लिए दबाव डाला। यह मामला तब सामने आया जब दिल्ली हाईकोर्ट में उस अपील की सुनवाई चल रही थी, जिसमें पीड़िता ने आरोप लगाया था कि न्यायाधीश ने उस पर समझौता करने का दबाव डाला था।

विजिलेंस रजिस्ट्रार को भेजी गई जांच रिपोर्ट

जांच के बाद, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को विजिलेंस रजिस्ट्रार को भेजा और उनकी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कार्रवाई की। इसके बाद, संजीव कुमार सिंह के खिलाफ यह अनुशासनात्मक कदम उठाया गया।

निलंबन के बाद की स्थिति

अब तक संजीव कुमार सिंह को दिल्ली न छोड़ने का आदेश दिया गया है। उन्हें साकेत कोर्ट के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कार्यालय से अटैच कर दिया गया है, जबकि उनकी कार्रवाई पर आगे की जांच और निर्णय लिया जाएगा। यह घटना न्यायपालिका की पारदर्शिता और जिम्मेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।

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