लखनऊ। दीपावली के शुभ अवसर पर जहां एक ओर पूरा देश रोशनी और उल्लास में डूबा होता है, वहीं इसी समय प्रदूषण, श्वसन रोग और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी को देखते हुए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने नागरिकों से इस बार सुरक्षित, स्वास्थ्य-संवेदनशील और पर्यावरण के अनुकूल दीपावली मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा, दीपावली रोशनी और शुभता का पर्व है। इसे पटाखों की गूंज और धुएं से नहीं, दीपों की शांत आभा से मनाएं।
डॉ. सूर्यकान्त, जो ऑर्गेनाइजेशन फॉर कंजर्वेशन ऑफ एनवायरनमेंट एंड नेचर के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि पटाखों से निकलने वाले धुएं में कैडमियम, बेरियम, रूबीडियम, स्ट्रॉन्शियम और डाइऑक्सिन जैसे घातक रसायन पाए जाते हैं, जो फेफड़ों, दिल, त्वचा और आंखों पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। यह धुआं न केवल हवा, बल्कि मिट्टी और जल को भी प्रदूषित करता है।
भारत में लगभग 10 करोड़ लोग सांस संबंधी बीमारियों जैसे अस्थमा, सीओपीडी, एलर्जी आदि से पीड़ित हैं। दीपावली के समय वायु में महीन धूलकणों और धुएं की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है, जो इन रोगियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। डॉ. सूर्यकान्त ने ऐसे मरीजों को सलाह दी कि वे यथासंभव घर के अंदर रहें, मास्क का उपयोग करें, तरल पदार्थ लें, इनहेलर का नियमित प्रयोग करें और सांस फूलने जैसी समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
दीपावली के दौरान की जाने वाली सफाई और पेंटिंग में उठने वाली धूल और रासायनिक तत्व भी श्वसन संबंधी रोगियों के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे लोग सफाई या पेंटिंग के दौरान उस स्थान से दूर रहें, जब तक गंध या धूल पूरी तरह समाप्त न हो जाए।
डॉ. सूर्यकान्त ने हृदय रोगियों और उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को पटाखों की आवाज और प्रदूषण से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तेज आवाज और धुआं रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं, जिससे घबराहट, बेचैनी या दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आंखों में पटाखा लगने की स्थिति में तुरंत पानी से धोएं, रगड़ें नहीं और डॉक्टर से संपर्क करें। आतिशबाजी करते समय प्रोटेक्टिव चश्मा पहनें, और सिंथेटिक कपड़ों की जगह सूती कपड़े पहनने की सलाह दी गई है। त्वचा जलने पर ठंडे पानी से धोएं, पर तेल, मक्खन या पाउडर न लगाएं।
नेशनल कोर कमेटी, डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन के सदस्य डॉ. सूर्यकान्त ने लोगों से ‘पटाखावली’ की बजाय दीपावली’ मनाने का आह्वान किया। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक या कम्प्रेस्ड एयर आधारित आतिशबाजी को प्राथमिकता देने और चीनी पटाखों से परहेज की अपील की। साथ ही, जल, बालू और प्राथमिक उपचार सामग्री पास रखने की सलाह दी।
कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने डॉ. सूर्यकान्त और उनकी टीम को इस जन-जागरूकता अभियान के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस तरह की पहल लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी है। दीप जलाएं, प्रदूषण नहीं। खुशियां बांटें, बीमारी नहीं। डॉ. सूर्यकान्त का स्पष्ट संदेश है कि हमारी खुशी किसी और के जीवन या पर्यावरण पर बोझ न बने।
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