असम राइफल्स ने सुरक्षित बचाए दोनों श्रमिक, 12 घंटे चला ऑपरेशन

खबर सार :-
अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- खापलांग’ (एनएससीएन-के) ग्रुप के हथियारबंद उग्रवादियों द्वारा अपहृत किए गए दो श्रमिकों को असम राइफल्स की खोंसा बटालियन ने करीब 12 घंटे के अंदर बिना किसी नुकसान के बचा लिया है।

असम राइफल्स ने सुरक्षित बचाए दोनों श्रमिक, 12 घंटे चला ऑपरेशन
खबर विस्तार : -

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश के संवेदनशील तिरप जिले में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- खापलांग (NSCN-K) के हथियारबंद उग्रवादियों द्वारा अगवा किए गए दो श्रमिकों को असम राइफल्स की खोंसा बटालियन ने मात्र 12 घंटे के भीतर एक साहसिक और रणनीतिक ऑपरेशन के तहत सुरक्षित बचा लिया।

घटना शनिवार शाम की है जब दादम सर्कल के लाहू गांव में मेसर्स अग्रवाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम कर रहे दो श्रमिकों को करीब सात से आठ हथियारबंद उग्रवादियों ने अगवा कर लिया। ये श्रमिक एक रोड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में कार्यरत थे।

पुलिस के साथ चलाया अभियान

सूचना मिलते ही असम राइफल्स ने लोंगडिंग पुलिस के साथ मिलकर तुरंत एक संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया। कार्रवाई न्गिसा और न्गिन्नू जनरल एरिया के नोकना ट्रैक्स पर केंद्रित रही, जहां रणनीतिक रूप से दो अलग-अलग एंबुश पॉइंट्स स्थापित किए गए थे।

रविवार सुबह अंधेरे में गुरिल्ला शैली में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन उग्रवादियों को अभियान की भनक लग गई। सुबह 5:50 बजे उग्रवादियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी और सुरक्षा बलों पर मोर्टार भी दागे।

सुरक्षित निकाले गए श्रमिक

हालांकि, अपहृत श्रमिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सुरक्षा बलों ने संयम बरता और बिना उकसावे के जवाबी कार्रवाई नहीं की। लेकिन जब उग्रवादियों की गोलीबारी और मोर्टार हमले तेज हुए, तब असम राइफल्स ने मजबूरन जवाबी कार्रवाई की।

इसी दौरान एक समानांतर टीम ने साहसिकता दिखाते हुए जंगल में गहराई तक तलाशी अभियान चलाया और अपहृत दोनों श्रमिकों को सही-सलामत रिहा कर जंगल से सुरक्षित बाहर निकाल लाया।

पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि श्रमिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है। हालांकि, असम राइफल्स और पुलिस बल द्वारा इलाके में सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन अभी भी जारी है ताकि उग्रवादियों को पकड़ा जा सके और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

यह ऑपरेशन न केवल सुरक्षा बलों की तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता और रणनीतिक समझ को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में उग्रवाद से निपटने के लिए सुरक्षाबल पूरी तरह सतर्क और सक्षम हैं।

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