डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वार: विदेशी आयात पर भारी शुल्क, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा या वैश्विक व्यापार में टकराव?

खबर सार :-
डोनाल्ड ट्रंप का नया टैरिफ फैसला घरेलू उद्योगों को राहत और चुनावी समर्थन दिला सकता है, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार संबंधों में तनाव, उपभोक्ता मूल्य वृद्धि और संभावित व्यापार युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह नीति 'अमेरिका फर्स्ट' की पुनरावृत्ति है, जो अल्पकालिक लाभ के साथ दीर्घकालिक वैश्विक असंतुलन को जन्म दे सकती है।

डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वार: विदेशी आयात पर भारी शुल्क, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा या वैश्विक व्यापार में टकराव?
खबर विस्तार : -

Trump Tariff: वॉशिंगटन से एक बार फिर दुनिया की नजरें अमेरिका की व्यापार नीतियों पर टिक गई हैं। इस बार पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा निर्णय लिया है जो वैश्विक व्यापार समीकरणों को झकझोर सकता है। ट्रंप ने विदेशी दवाओं, फर्नीचर, किचन कैबिनेट्स और भारी ट्रकों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की है। यह कदम उनके अनुसार घरेलू उद्योगों की रक्षा, नौकरियों के सृजन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव कहीं अधिक जटिल हो सकते हैं।

ट्रंप की नीति: “अमेरिका फर्स्ट” का नया संस्करण

डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला उनके “अमेरिका फर्स्ट” सिद्धांत का सीधा विस्तार है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी चीन समेत कई देशों पर आयात शुल्क लगाकर अमेरिकी विनिर्माण उद्योगों को संरक्षण देने का प्रयास किया था। अब एक बार फिर उन्होंने अपनी भावी आर्थिक नीतियों के संकेत देते हुए कई महत्वपूर्ण उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है।

नए टैरिफ के मुख्य बिंदुओं में शामिल हैं:

हेवी ट्रक: विदेशों से आने वाले भारी ट्रकों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क।

रसोई कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी: 50 प्रतिशत टैरिफ।

अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर: 30 प्रतिशत आयात शुल्क।

ब्रांडेड फार्मास्यूटिकल्स: 100 प्रतिशत  टैरिफ, केवल अमेरिका में निर्माण करने वाली कंपनियों को छूट।

प्रभावी होने की तिथिः यह टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से प्रभाव में आएगा।

घरेलू प्रभाव: किसे फायदा और किसे नुकसान

इस निर्णय का प्रत्यक्ष लाभ अमेरिकी निर्माण कंपनियों को मिलेगा। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से पीटरबिल्ट, फ्रेटलाइनर, मैक ट्रक्स जैसी कंपनियों का नाम लिया, जिन्हें विदेशी प्रतिस्पर्धा से राहत मिलेगी। इसी प्रकार, अमेरिकी दवा कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि विदेशी ब्रांडेड दवाएं अब काफी महंगी हो जाएंगी, जिससे घरेलू दवाओं की मांग बढ़ेगी। हालांकि, इस कदम से उपभोक्ताओं को सीधा नुकसान हो सकता है। टैरिफ का सीधा असर उत्पादों की कीमतों पर होता है। फर्नीचर, रसोई सामान और दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के बजट को प्रभावित करेगा।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

इस घोषणा के बाद अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव बढ़ सकता है। चीन, भारत, यूरोप जैसे देशों से भारी मात्रा में ये उत्पाद अमेरिका में आयात होते हैं। अगर ये देश जवाबी कार्रवाई करते हैं तो यह व्यापार युद्ध का रूप ले सकता है। विशेष रूप से दवा उद्योग पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय वैश्विक फार्मा कंपनियों को झटका दे सकता है, जो अमेरिका को एक प्रमुख बाजार मानती हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम वैश्विक जिम्मेदारी

ट्रंप ने अपने बयान में बार-बार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया। उनका कहना है कि विदेशी माल की बाढ़ अमेरिकी निर्माण क्षेत्र को कमजोर कर रही है, और इससे देश की आत्मनिर्भरता पर खतरा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के टैरिफ, वैश्विक सहयोग और मुक्त व्यापार के सिद्धांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

चुनावी रणनीति या आर्थिक नीति

यह निर्णय ट्रंप की संभावित राष्ट्रपति पद की दौड़ के मद्देनजर भी देखा जा रहा है। यह ऐसा मुद्दा है जो अमेरिकी मजदूरों, निर्माण उद्योग और ट्रेड यूनियनों के बीच उन्हें समर्थन दिला सकता है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि यदि ये टैरिफ लंबे समय तक लागू रहे तो अमेरिका में महंगाई और व्यापारिक असंतुलन बढ़ सकता है।

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