ट्रंप का बड़ा रक्षा दांव: एनडीएए के जरिए भारत से मजबूत होगा सैन्य गठबंधन

खबर सार :-
वित्त वर्ष 2026 का एनडीएए भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह कानून भारत के साथ सैन्य, रणनीतिक और क्षेत्रीय सहयोग को अमेरिकी रक्षा नीति का स्थायी हिस्सा बनाता है। इंडो-पैसिफिक में स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और चीन के प्रभाव को संतुलित करने में यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और गहरी होने की उम्मीद है।

ट्रंप का बड़ा रक्षा दांव: एनडीएए के जरिए भारत से मजबूत होगा सैन्य गठबंधन
खबर विस्तार : -

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वित्त वर्ष 2026 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (NDAA) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह कानून न केवल अमेरिका की रक्षा नीति और बजट को दिशा देता है, बल्कि भारत के साथ सैन्य और रणनीतिक साझेदारी को भी औपचारिक रूप से मजबूत करता है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच इस कदम को अमेरिका की दीर्घकालिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

एनडीएए क्या है और क्यों अहम है ?

एनडीएए अमेरिका का वह प्रमुख रक्षा कानून है, जो पिछले 60 वर्षों से हर साल पारित होता आ रहा है। इसके जरिए पेंटागन के बजट, सैन्य प्राथमिकताओं और रणनीतिक नीतियों को कानूनी रूप दिया जाता है। वित्त वर्ष 2026 के लिए इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा खर्च के लिए लगभग 890 बिलियन डॉलर की मंजूरी दी गई है। यह कानून राष्ट्रपति ट्रंप की “ताकत के जरिए शांति” की नीति को आगे बढ़ाने का आधार बनेगा।

भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग को नई गति

इस एनडीएए में भारत को इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक केंद्रीय भागीदार माना गया है। कानून भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य सहयोग बढ़ाने, संयुक्त सैन्य अभ्यासों में भागीदारी बढ़ाने और रक्षा व्यापार को प्रोत्साहित करने पर जोर देता है। इसके अलावा, मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में दोनों देशों के बीच समन्वय को भी प्राथमिकता दी गई है।

क्वाड और इंडो-पैसिफिक पर फोकस

एनडीएए के तहत क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) को एक स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रमुख मंच बताया गया है। समुद्री सुरक्षा को भारत-अमेरिका सहयोग का एक अहम क्षेत्र घोषित किया गया है, जिससे हिंद महासागर और आसपास के समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

रूस और चीन पर नजर

कानून के मुताबिक, स्टेट डिपार्टमेंट को 180 दिनों के भीतर कांग्रेस को एक रिपोर्ट देनी होगी और उसके बाद अगले पांच वर्षों तक हर साल रिपोर्ट पेश करनी होगी। इन रिपोर्टों में भारत-रूस सैन्य सहयोग की स्थिति और रूस की सैन्य गतिविधियों का हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर प्रभाव आंका जाएगा। साथ ही, चीन की सैन्य कंपनियों द्वारा प्रतिबंधों से बचने के लिए तीसरे देशों के इस्तेमाल को रोकने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र के लिए विशेष दूत

एनडीएए स्टेट डिपार्टमेंट के भीतर हिंद महासागर क्षेत्र के लिए एक एम्बेसडर-एट-लार्ज की नियुक्ति को मंजूरी देता है। यह पद क्षेत्रीय देशों के साथ अमेरिका के कूटनीतिक प्रयासों को समन्वित करेगा और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने पर ध्यान देगा।

अन्य प्रमुख प्रावधान

इस कानून में ताइवान के साथ सुरक्षा सहयोग के लिए 1 अरब डॉलर की मंजूरी दी गई है। साथ ही, अमेरिकी सैन्य कर्मियों के लिए 3.8 प्रतिशत वेतन वृद्धि, बेहतर आवास, स्वास्थ्य सेवाएं और बाल देखभाल सुविधाओं के लिए अतिरिक्त फंडिंग का प्रावधान किया गया है। रक्षा विभाग के सिविलियन कर्मचारियों की सुरक्षा और कल्याण से जुड़े उपाय भी इसमें शामिल हैं।

 

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