12 साल पुरानी हत्या का फैसला: रंगदारी के लिए चलाई थी गोली, अदालत ने आरोपी को सुनाई सश्रम आजीवन कैद

खबर सार :-
2013 में बबेरू क्षेत्र में रंगदारी के लिए की गई हत्या के मामले में अदालत ने आरोपी रामदत्त को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपी ने पिता-पुत्र पर विवाद के दौरान गोलियां चलाई थीं, जिससे पिता राम किशोर की मौत हो गई। अदालत ने आरोपी पर 11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

12 साल पुरानी हत्या का फैसला: रंगदारी के लिए चलाई थी गोली, अदालत ने आरोपी को सुनाई सश्रम आजीवन कैद
खबर विस्तार : -

बांदाः बबेरू थाना क्षेत्र के साथी गांव निवासी मृतक के पुत्र बुद्धविलास पटेल ने 2 सितंबर 2013 को बबेरू थाने में तहरीर दी थी कि रात आठ बजे वह और उसके पिता राम किशोर शौच को जा रहे थे। तभी राजकुमार मास्टर के घर के सामने उसके गांव का रामदत्त पहलवानी उसे और उसके पिता को शराब के नशे में गाली गलौज करने लगा। मना करने पर उसने तमंचा निकालकर उसके पिता को जान से मारने की नीयत से गोली मार दी। गोली उसके पिता की छाती में लगी।

रंगदारी व दबदबा बनाए रखने के लिए की थी हत्या

रंगदारी व दबदबा कायम रखने के लिए युवक की गोली मारकर हत्या की गई थी। दोषी को अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रपाल द्वितीय की अदालत ने बुधवार को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही हत्या में प्रयुक्त तमंचा रखने में सजा सहित 11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। जिसकी धनराशि की अदायगी न करने पर एक वर्ष अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोषी को जेल भेज दिया गया।

वर्ष 2013 की है घटना, 12 साल बाद आया फ़ैसला 

मृतक के पुत्र ने बताया कि वह पिता को घायल अवस्था में अस्पताल छोड़कर थाने रिपोर्ट लिखाने गया था। उसके पिता को बबेरू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल भेजा गया। डॉक्टर ने पट्टी बांधकर कानपुर के लिए रेफर कर दिया। कानपुर में इलाज करने के बाद लखनऊ अस्पताल में भर्ती कराया। 22 सितंबर 2013 को उनकी मृत्यु हो गई। 23 सितंबर 2013 को लखनऊ में पोस्टमार्टम कराया गया। विवेचक ने दोषी रामदत्त को 6 सितंबर 2013 को हत्या में प्रयुक्त तमंचा बरामद कर उसे जेल भेज दिया था। तत्कालीन विवेचक प्रभारी निरीक्षक कैलाश नाथ मिश्र व एसआई नरेंद्र कुमार पाल एवं एसआई हरिराम सिंह चौकी प्रभारी सिमौनी हत्या व अवैध तमंचा रखने की विवेचना की। विवेचक ने हत्या का आरोपपत्र आठ नवंबर 2013 व तमंचा रखने में आरोप पत्र पांच दिसंबर 2013 को अदालत में पेश किया। दोनों मामलों में दोषी के विरुद्ध 26 फरवरी 2014 को आरोपी बनाया गया। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन के बाद न्यायाधीश ने अपने 29 पृष्ठीय फैसले में हत्या में आजीवन कारावास और शस्त्र अधिनियम में दो वर्ष का सश्रम कारावास व 11 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

अन्य प्रमुख खबरें