ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष की विशेष सत्र की मांग, प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र

खबर सार :-
16 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया ब्लॉक पार्टियों की बैठक हुई। जिसमें ये सभी विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में ये बात कही।

ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष की विशेष सत्र की मांग, प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः मंगलवार को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में इंडी गठबंधन की बैठक हुई, जिसमें 16 विपक्षी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इन दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। बैठक के बाद विभिन्न दलों के नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने विशेष सत्र बुलाने की मांग दोहराई। 

कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम तक की घटनाओं और उसके बाद हुए कूटनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा होनी चाहिए। क्या भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है? अगर नहीं, तो आगे की रणनीति क्या है? इन सभी मुद्दों पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। सत्र में सशस्त्र बलों को कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए और उनकी बहादुरी को सलाम किया जाना चाहिए। साथ ही भविष्य की दिशा पर विचार किया जाना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने संघर्ष विराम की घोषणा की है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। इन मुद्दों पर चर्चा जरूरी है। ट्रंप की घोषणा से भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में संसद का सत्र बुलाना जरूरी है। 

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र पर मुख्य विपक्षी दलों ने हस्ताक्षर किए हैं। यह कोई सामान्य पत्र नहीं है। विपक्ष देश की आवाज है। पहलगाम की घटना पर विशेष सत्र आयोजित किया जाए तो देश की 'प्रतिष्ठा' बनी रहेगी और जनता को जवाब मिलेगा।

आम आदमी पार्टी के शामिल न होने पर तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हमारी समझ है कि कल शाम 6 बजे तक आम आदमी पार्टी भी इसी मुद्दे और भावना के साथ प्रधानमंत्री को पत्र लिखेगी।

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 दिनों में 13 बयान दिए। इन बयानों से भारत की भावनाएं आहत हुई हैं। एक देश और समाज के तौर पर हम आहत हैं। अगर संसद का सत्र बुलाया जाता है तो हम एक स्वर में इस पर अपनी बात रख सकते हैं। यह सरकार या विपक्ष का मुद्दा नहीं बल्कि जवाबदेही का मामला है।

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