लखनऊ, यह सियासत का मोह है। इसे छोड़ने के लिए राजनीति छोड़नी पड़ेगी। लेकिन जो लोग राजनीति करते-करते सत्ता का सुख भोग चुके हैं, वह इसे त्याग पाएंगे? यह सवाल इन दिनों के लिए लाजिमी है। बिहार में लालू प्रसाद यादव और महाराष्ट्र में शरद यादव इन दिनों पूरी जिम्मेदारी के साथ चुनावों की तैयारियां कर रहे हैं। महाराष्ट्र में निकाय चुनाव हैं। उधर बिहार में विधानसभा चुनाव जीतकर अपने पुत्र को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के लिए लालू प्रसाद यादव सत्तापक्ष के नेताओं के खिलाफ आक्रामक हैं। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार हैं।
उन्होंने शुक्रवार 20 जून को यह हवा दे दी है कि उन्हें अभी इतना कमजोर या बूढ़ा न समझा जाए कि निगम चुनाव का मैदान कोई और मार ले जाए। महा विकास आघाडी (एमवीए) के साथ तो वह रहे हैं, लेकिन नगर निगम चुनाव एक साथ लड़ने के लिए पत्ता दबाए हैं। उनकी यह मजबूरी बन रही है कि वह उद्धव ठाकरे की पार्टी को मुंबई में मजबूत बता रहे हैं। इसका कारण यह है कि भाजपा ने दोनों पार्टियों को बड़ी चोट दी है। पवार ने बारामती में कहा था कि उनका कांग्रेस का साथ तय नही है, लेकिन उनकी पार्टी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के साथ चुनाव लड़ सकती है।
वहीं बिहार में बिहारी बाबू नितीश कुमार के सुशासन का इस बार प्रभाव कम दिख रहा है, लेकिन उनके सहयोगी दल भाजपा की पूरी ताकत बिहार में लगा दी गई है। इसमें उनके शीर्ष नेताओं के फेरे लगते रहेंगे। अभी बीते दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सीवान में सौगातों की बरसात कर चुकेंगे। प्रधानमंत्री ने यहां मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की तारीफ भी कर चुके हैं। भाजपा को हराकर सत्ता का सुख पाने के लिए बेचैन आरजेडी के प्रमुख यदि यहां हैं तो वह हैं वयोवृद्ध नेता लालू प्रसाद यादव। लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में सजा भी काट चुके हैं। उ
बिहार में चाहने वाले उनकी विरादरी के लोगों के अलावा तमाम पार्टी से जु लोग हैं। सिवान में प्रधानमंत्री की जंगलराज वाली टिप्पणी के बाद लालू प्रसाद यादव भी मुंह खोल चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि सीवान के लोगों को सावधान रहना चाहिए। पीएम नेकहा था कि जंगलराज वाला घात लगाकर बैठा है। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस को भी घेरा। लालू प्रसाद यादव ने इसी का विरोध किया था। लालू ने कहा कि झूठ, जुमलों और भ्रम की बरसात कर रही है भाजपा। इसी तरह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के लिए विपक्ष में बेचैनी है। शरद पवार कह चुके हैं कि वह भाजपा से दूनियां बनाए रखेंगे। यही नहीं, उन्होंने कहा कि जो लोग भाजपा को हराएंगे, वह चुनाव उन्हीं के साथ लगेंगे। महाराष्ट्र में राजनीतिक चाणक्य शरद पवार को कहा जाता है। यह वही चाणक्य हैं, जो अपने दल को संभलने में कामयाब नहीं हुए हैं। यद्यपि बिहार में कई और दल चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं।
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