आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूकों और गोलियों से नहीं जीते जाते-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

खबर सार :-
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की चर्चा अभी भी हो रही है। किन कारणों से यह ऑपरेशन सफल रहा, इसे बताया जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के सफल होने के कारणों को बताया है। उन्होंने निर्बाध रसद प्रबंधन को इसकी सफलता का प्रमुख कारक बताया है।

आज के दौर में युद्ध सिर्फ बंदूकों और गोलियों से नहीं जीते जाते-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
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नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वडोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को जुटाने से लेकर सही समय और स्थान पर उपकरण पहुंचाने तक, हमारी एजेंसियों द्वारा निर्बाध रसद प्रबंधन ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का एक निर्णायक कारक रहा। आज के दौर में युद्ध सिर्फ़ बंदूकों और गोलियों से नहीं, बल्कि समय पर उपकरण पहुंचाकर जीते जाते हैं और ऑपरेशन सिंदूर उत्कृष्ट रसद प्रबंधन का एक जीवंत उदाहरण था। उन्होंने कहा कि रसद को सिर्फ सामान पहुंचाने की प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि सामरिक महत्व से देखा जाना चाहिए। चाहे सीमा पर लड़ रहे सैनिक हों या आपदा प्रबंधन में लगे कर्मचारी, समन्वय या संसाधनों के उचित प्रबंधन के बिना, सबसे मज़बूत इरादे भी कमज़ोर पड़ जाते हैं।

शक्ति का मापदंड सिर्फ हथियार नहीं

रसद वह शक्ति है जो अराजकता को नियंत्रण में बदल देती है। शक्ति का मापदंड सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि समय पर संसाधन प्रबंधन भी है। चाहे युद्ध हो, आपदा हो या वैश्विक महामारी, जो राष्ट्र अपनी रसद श्रृंखला को मज़बूत रखता है, वह सबसे स्थिर, सुरक्षित और कुशल होता है। उन्होंने 21वीं सदी में भारत की आकांक्षाओं को गति देने में जीएसवी जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। राजनाथ सिंह ने देश की आर्थिक प्रगति में लॉजिस्टिक्स के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने इसे उत्पादन-पूर्व से लेकर उपभोग तक, प्रत्येक चरण को जोड़ने वाले प्रमुख स्तंभों में से एक बताया। उन्होंने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लॉजिस्टिक्स के योगदान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण बताया और कोविड के दौरान इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया, जब ज़रूरत के समय लाखों टीके, ऑक्सीजन सिलेंडर और चिकित्सा दल एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे।

सात शक्तिशाली स्तंभ अर्थव्यवस्था को बना रहे मज़बूत

रक्षा मंत्री ने बताया कि बीते 11 वर्षों में भारत के बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और इस परिवर्तन की नींव नीतिगत सुधारों और समग्र व एकीकृत दृष्टिकोण वाली मिशन मोड परियोजनाओं के माध्यम से रखी गई है। इसका प्रभाव सिर्फ भौतिक संपर्क तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक उत्पादकता भी बढ़ी है। लॉजिस्टिक्स लागत कम हुई है और सेवा वितरण में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत, रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जल परिवहन और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विकास के सात शक्तिशाली स्तंभ मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था को एक मज़बूत आधार प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। पीएम गतिशक्ति केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक विज़न है, जो अत्याधुनिक तकनीक और डेटा-आधारित योजना के ज़रिए बुनियादी ढांचे को भविष्योन्मुखी बना रही है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति पर, रक्षा मंत्री ने कहा कि इस पहल का मकसद एक एकीकृत, कुशल और लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बनाना है, जो न सिर्फ लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेगा, बल्कि डेटा-आधारित निर्णय लेने को भी प्रोत्साहित करेगा।

लॉजिस्टिक्स लागत को विकसित देशों के स्तर पर है लाना

उन्होंने कहा, इस नीति का उद्देश्य मौजूदा 13-14 प्रतिशत लॉजिस्टिक्स लागत को विकसित देशों के स्तर पर लाना है। इससे घरेलू और वैश्विक बाज़ारों में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। लॉजिस्टिक्स लागत में कमी से सभी क्षेत्रों में दक्षता बढ़ेगी और मूल्यवर्धन व उद्यम विकास को बढ़ावा मिलेगा। जीएसवी की महत्वपूर्ण भूमिका पर, राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस गति से युवा देश को शक्ति प्रदान कर रहे हैं, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा, लॉजिस्टिक्स के मामले में देश के सबसे प्रतिष्ठित अध्ययन केंद्रों में से एक जीएसवी केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, बल्कि एक विचार और एक मिशन है। यह भारत को तीव्र, संगठित और समन्वित तरीके से आगे बढ़ाने की राष्ट्रीय आकांक्षा को साकार कर रहा है। रक्षा मंत्री ने डिजिटलीकरण, स्वचालन, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, एआई-सक्षम लॉजिस्टिक्स पूर्वानुमान और टिकाऊ माल ढुलाई प्रणालियों को आज भारत की राष्ट्रीय आवश्यकताएं बताया। उन्होंने इन क्षेत्रों में प्रगति के लिए जीएसवी और छात्रों के प्रयासों की सराहना की।

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