नई दिल्लीः भौतिकवादी युग में इंसान अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान नहीं रख पाता है। जो गंभीर रोगों और बीमारियों की चपेट में आने का कारण बन रहा है। इसलिए व्यक्ति को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक हालिया वैश्विक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार सिर्फ वयस्कों की सेहत के लिए नहीं, बल्कि बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत लाभकारी हो सकता है। खासकर यह मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) जैसी बढ़ती समस्या को रोकने या उसकी गति को धीमा करने में मदद कर सकता है। यह अध्ययन हांगकांग की चीनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेसन सी. याम के नेतृत्व में किया गया और इसे प्रतिष्ठित ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
मायोपिया एक ऐसा दृष्टि दोष है जिसमें व्यक्ति को दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। यह तब होता है जब आंखों की एक्सियल लेंथ, यानी कॉर्निया से रेटिना तक की दूरी, सामान्य से अधिक हो जाती है। यह बढ़ी हुई दूरी प्रकाश को रेटिना पर सही तरीके से फोकस नहीं होने देती, जिससे दृष्टि में धुंधलापन आता है। प्रो. याम के अनुसार, ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों में रक्त प्रवाह बढ़ाता है और पोषक तत्वों को कोरॉइड नामक परत तक पहुंचाता है। इससे आंख की सफेद झिल्ली (स्क्लेरा) में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है, जिससे स्क्लेरल हाइपोक्सिया की स्थिति रोकी जा सकती है — जो मायोपिया का एक प्रमुख कारण मानी जाती है।
अध्ययन की प्रमुख बातें: अध्ययन में चीन के 6 से 8 वर्ष के 1,005 बच्चों को शामिल किया गया। उनमें से 27.5 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से ग्रसित पाए गए हैं। जिन बच्चों के भोजन में ओमेगा-3 अधिक मात्रा में था, उनमें मायोपिया का खतरा कम था। जबकि सैचुरेटेड फैट्स जैसे कि पाम ऑयल, मक्खन और रेड मीट का सेवन करने वाले बच्चों में मायोपिया की आशंका ज्यादा पाई गई।
हालांकि यह अध्ययन अवलोकन आधारित (observational) है, यानी यह दिखाता है कि क्या हो रहा है, पर यह कारण और प्रभाव की पुष्टि नहीं करता। साथ ही, बच्चों के खानपान संबंधी जानकारी याददाश्त पर आधारित थी, जो एक समय विशेष की जानकारी देती है — पूरे जीवनशैली की नहीं।
हालांकि और शोध की ज़रूरत है, लेकिन शुरुआती सबूत यह दिखाते हैं कि संतुलित और ओमेगा-3 से भरपूर आहार बच्चों की आंखों की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। तेजी से बढ़ते मायोपिया के मामलों के बीच यह एक सकारात्मक संकेत है, जिस पर आगे काम किया जा सकता है।
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