Amoebic meningitis: केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से 11 साल की बच्ची संक्रमित, मामले बढ़कर तीन हुए

खबर सार :-
केरल में ब्रेन इटिंग अमीबा के नाम से मशहूर अमीबिक मेनिन्जाइटिस नामक बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले तीन मरीजों का इलाज कोझिकोड के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने मामले को गंभीरता से लेकर जनता से सावधानी और सतर्कता बरतने की अपील की है। तो आइए जानें कैसे फैलती है ये बीमारी...

Amoebic meningitis: केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से 11 साल की बच्ची संक्रमित, मामले बढ़कर तीन हुए
खबर विस्तार : -

केरलः केरल के मलप्पुरम जिले के चेलारी गांव में रहने वाली 11 साल की एक बच्ची को अमीबिक मेनिन्जाइटिस नामक दुर्लभ और जानलेवा संक्रमण हो गया है, जिसे आम भाषा में ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ के नाम से जाना जाता है। बच्ची की हालत गंभीर है और वह कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में वेंटिलेटर पर है।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, बच्ची को पिछले सप्ताह तेज बुखार के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था। पीसीआर टेस्ट से पुष्टि हुई कि उसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंजोइनसिफेलाइटिस (PAM) है। यह संक्रमण नाक के माध्यम से दिमाग तक पहुंचने वाले एक परजीवी अमीबा के कारण होता है।

कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में तीन मरीज भर्ती

कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में अब इस संक्रमण से पीड़ित कुल तीन मरीज हैं, जिनमें एक तीन महीने का शिशु और एक 40 वर्षीय पुरुष भी शामिल हैं। तीनों की हालत नाजुक बनी हुई है और सभी को गहन चिकित्सा में रखा गया है। इससे पहले, 14 अगस्त को कोझिकोड जिले की 9 साल की बच्ची की इसी बीमारी से मौत हो चुकी है। उसे तेज बुखार की शिकायत पर अस्पताल लाया गया था, लेकिन भर्ती होने के कुछ घंटों के भीतर ही उसने दम तोड़ दिया। जांच में सामने आया कि वह भी अमीबिक मेनिन्जाइटिस से पीड़ित थी। इस साल फरवरी में भी इसी संक्रमण से कोझिकोड के चेंगोट्टुकाव क्षेत्र की एक 39 वर्षीय महिला की मौत हो गई थी। वह एक महीने से ज्यादा समय तक अस्पताल में भर्ती रहीं लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

स्वास्थ्य विभाग की जनता से अपील

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है। अधिकारियों ने सलाह दी है कि लोग गंदे पानी से बचें, नाक में पानी जाने से रोकें और सार्वजनिक जल स्रोतों की क्लोरीनेशन प्रक्रिया सुनिश्चित करें। बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी और जागरूकता अभियान तेज कर दिया है।

जानें क्या है अमीबिक मेनिन्जाइटिस

अमीबिक मेनिन्जाइटिस, जिसे प्राथमिक अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफेलाइटिस (PAM) भी कहा जाता है, संक्रमित पानी के नाक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश करने से फैलता है। यह आमतौर पर तब होता है जब कोई व्यक्ति गर्म, ताजे पानी में तैरता या गोता लगाता है। इस दौरान पानी नाक में चला जाता है, तो उसे संक्रमण का खतरा होता है।

अत्यंत दुर्लभ और घातक बीमारी

अमीबिक मेनिन्जाइटिस एक अत्यंत दुर्लभ लेकिन घातक बीमारी है, जिसकी मृत्यु दर 97 प्रतिशत से भी अधिक है। यह आमतौर पर तब होता है जब लोग गंदे या ठहरे हुए पानी में तैरते हैं और अमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, भ्रम, दौरे और कोमा शामिल हैं।

संक्रमण का स्रोत:

अमीबिक मेनिन्जाइटिस का कारण बनने वाला अमीबा, जैसे कि नेगलेरिया फाउलेरी, प्राकृतिक रूप से उथले, गर्म, ताज़े पानी के स्रोतों जैसे झीलों, तालाबों और नदियों में पाया जाता है। अमीबा नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं, आमतौर पर जब कोई व्यक्ति पानी में तैरता है, गोता लगाता है या नाक में पानी जाने वाली अन्य गतिविधियाँ करता है। नाक के माध्यम से, अमीबा तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश करते हैं, जिससे मस्तिष्क और मेनिन्जेस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली) में सूजन हो जाती है। 

सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव

अमीबिक मेनिन्जाइटिस बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती और न ही यह दूषित पानी पीने से फैलती है। यह बीमारी बच्चों और युवाओं में अधिक आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।

रोकथाम का तरीका

इस बीमारी से बचने के लिए गर्म, ताज़े पानी के स्रोतों में तैरने या गोता लगाने से बचें, खासकर यदि पानी अच्छी तरह से साफ न हो। पानी में तैराकी करते समय, नाक में पानी जाने से बचने के लिए नाक के क्लिप का उपयोग करें या अपनी नाक को बंद कर लें। नाक को साफ करने के लिए, उबला हुआ, ठंडा या आसुत जल का उपयोग करें, नल के पानी का नहीं।