नई दिल्ली: भौतिकवादी युग में भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनी सेहत और खानपान पर ध्यान न देना महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। आजकल कई महिलाएं पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) से परेशान हैं, जिससे उनकी मासिक धर्म में अनियमितता, वजन बढ़ना और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। हालांकि, पीसीओएस से राहत पाने के लिए दवाइयों के साथ योगासन भी एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है। आयुष मंत्रालय ने कई ऐसे योगासनों की पहचान की है, जिन्हें नियमित रूप से करने से पीसीओएस से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है।
मलासन को 'गार्लिक पोज' भी कहा जाता है, जो खासकर महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। यह आसन मासिक धर्म की अनियमितता और पेट के नीचे दर्द जैसी समस्याओं को दूर करता है। मलासन से जांघों और कमर की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। इससे पेट और पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे मासिक धर्म की समस्या में सुधार होता है।
यह आसन पेट की गैस, अपच और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। पवनमुक्तासन से पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे न केवल पेट दर्द में राहत मिलती है, बल्कि मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है। इसके अलावा, यह हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे पीरियड्स नियमित रहते हैं।
यह आसन महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक फायदेमंद है। बद्धकोणासन से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे मासिक धर्म नियमित रहता है और हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है। यह आसन हिप्स को खोलता है और पेल्विक क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, जिससे पीसीओएस के कारण होने वाली अनियमितताओं और दर्द में राहत मिलती है।
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या आम है, जो अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। चक्की चलासन करने से पेट के अंग मजबूत होते हैं, शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और अतिरिक्त वसा कम होती है। यह आसन वजन नियंत्रण में मदद करता है और यूरिनरी इंफेक्शन जैसी समस्याओं से भी राहत प्रदान करता है, जो पीसीओएस के साथ आमतौर पर होती है।
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