कूनो पार्क में गूंजी शावकों की किलकारी, ‘मुखी’ ने पांच शावकों को दिया जन्म

खबर सार :-
‘मुखी’ द्वारा पांच शावकों का जन्म भारतीय वन्यजीव संरक्षण के लिए मील का पत्थर है। यह उपलब्धि न केवल ‘प्रोजेक्ट चीता’ की सफलता को मजबूत करती है, बल्कि भारत में चीतों की स्थायी और स्वस्थ आबादी बनाने की दिशा में भी नई उम्मीद जगाती है। कूनो का वातावरण चीता प्रजाति के लिए अधिक अनुकूल साबित हो रहा है, जो भविष्य की संरक्षण योजनाओं के लिए सकारात्मक संकेत है।

कूनो पार्क में गूंजी शावकों की किलकारी, ‘मुखी’ ने पांच शावकों को दिया जन्म
खबर विस्तार : -

Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से वन्यजीव संरक्षण के लिए उत्साहजनक खबर सामने आई है। भारत में जन्मी मादा चीता ‘मुखी’ ने पांच शावकों को जन्म दिया है, जिसे ‘प्रोजेक्ट चीता’ की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है। यह घटना न केवल कूनो पार्क में चीता आबादी बढ़ने का संकेत है, बल्कि भारत में चीता पुनर्स्थापना कार्यक्रम की सफलता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साझा की तस्वीरें

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ‘मुखी’ और उसके पांच शावकों की तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि यह भारत के संरक्षण इतिहास का ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने बताया कि 33 महीने पहले भारत में जन्मी ‘मुखी’ अब देश में जन्मी पहली ऐसी मादा चीता बन गई है जिसने सफलतापूर्वक प्रजनन किया है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह उपलब्धि साबित करती है कि भारत का पर्यावरण चीता प्रजाति के लिए उपयुक्त बनता जा रहा है। उनके अनुसार, भारत में जन्मे चीते का प्राकृतिक वातावरण में प्रजनन करना इस बात का सकारात्मक संकेत है कि यहां के तापमान, वनस्पति, शिकार और आवास इस प्रजाति के लिए अनुकूल साबित हो रहे हैं। इससे भविष्य में भारत में एक स्थिर और आनुवंशिक रूप से विविध चीता जनसंख्या स्थापित करने की उम्मीद मजबूत होती है।

प्रोजेक्ट चीता की बदलती तस्वीर

गौरतलब है कि भारत में चीतों के पुनर्वास का सपना तब साकार हुआ, जब दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर इन चीतों के पहले दल को कूनो में छोड़ा था। शुरुआत में कुछ चीतों की मृत्यु हुई, जिससे परियोजना को लेकर आशंकाएं बढ़ गई थीं, लेकिन अब लगातार मिल रही सफलताओं ने इस कार्यक्रम में नई ऊर्जा भर दी है। ‘मुखी’ जैसे भारत में जन्मे चीतों का परिपक्व होकर प्रजनन करना इस बात का संकेत है कि कूनो का पारिस्थितिकी तंत्र इस प्रजाति को बसाने की दिशा में धीरे-धीरे स्थिर हो रहा है। यही कारण है कि अब राज्य सरकार गांधी सागर क्षेत्र में भी चीतों को बसाने की नई पहल पर काम कर रही है, ताकि संरक्षण का दायरा और विस्तृत हो सके।

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