Public Representatives Criminal Cases : भारतीय राजनीति का कड़वा सच, लगभग आधे मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले

खबर सार :-
Public Representatives Criminal Cases : एक हालिया विश्लेषण में सामने आया है कि देशभर के 643 मंत्रियों में से लगभग आधे (47 फीसदी) मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव के बाद आई है, जिसमें आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने पर प्रधानमंत्री और मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है।

Public Representatives Criminal Cases : भारतीय राजनीति का कड़वा सच, लगभग आधे मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले
खबर विस्तार : -

Public Representatives Criminal Cases : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। एडीआर की रिपोर्ट ने भारतीय राजनीति में व्याप्त आपराधिकता की परतें खोल दी हैं। अपराधी और नेताओं का गठजोड़ इस रिपोर्ट से पूरी तरह बेनकाब होता है। इस विश्लेषण के अनुसार, देश के कुल 643 मंत्रियों में से 302, यानी लगभग 47 फीसदी मंत्रियों ने अपने चुनावी हलफनामों में खुद पर आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इनमें से 174 मंत्रियों पर हत्या, अपहरण, और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे अत्यंत गंभीर आरोप हैं, जो लोकतंत्र की शुचिता और गरिमा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है। 

यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब केंद्र सरकार तीन नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिनमें गंभीर आपराधिक आरोपों के तहत गिरफ्तारी होने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को 30 दिनों के भीतर पद से हटाने का प्रावधान शामिल है। एडीआर की यह रिपोर्ट 27 राज्य विधानसभाओं, तीन केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मंत्रियों के शपथपत्रों पर आधारित है, और इसके निष्कर्ष भारतीय राजनीति के लिए एक गंभीर चेतावनी बने हुए हैं।

Public Representatives Criminal Cases : प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति, कौन कितना दागदार?

एडीआर की रिपोर्ट में राजनीतिक दलों के स्तर पर भी आपराधिक मामलों की स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है। देश की सबसे बड़ी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), के 336 मंत्रियों में से 136 (40 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और इनमें से 88 (26 फीसदी) पर गंभीर आरोप लगे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले चार राज्यों में उसके 60 मंत्रियों में से 45 (74 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 18 (30 फीसदीं) पर गंभीर आरोप हैं। यह दर्शाता है कि आपराधिकता की समस्या किसी एक दल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक राजनीतिक रोग बन चुका है।

अन्य प्रमुख दलों की बात करें तो, तमिलनाडु में सत्तासीन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के 31 में से 27 मंत्रियों (लगभग 87 फीसदी) पर आपराधिक मामले हैं, और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) जिसके 23 में से 22 मंत्रियों (96 फीसदी) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और 13 (57 फीसदी) पर गंभीर मामले हैं। यह अनुपात भारतीय राजनीति में आपराधिक तत्वों के बढ़ते प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

Public Representatives Criminal Cases : क्षेत्रीय असमानता और चिंताजनक आंकड़े

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कई राज्यों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों की संख्या 60 फीसदी से भी अधिक है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और पुडुचेरी जैसे राज्य इस सूची में शामिल हैं, जहां आधे से अधिक मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह स्थिति इन राज्यों में शासन की गुणवत्ता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लगाती है।

इसके विपरीत, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, नागालैंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपने मंत्रियों के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज न होने की जानकारी दी है, जो एक सकारात्मक संकेत है। राष्ट्रीय स्तर पर, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 72 मंत्रियों में से 29 (40ः) ने भी अपने हलफनामों में आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

Public Representatives, Criminal Cases : लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

यह विश्लेषण न केवल राजनीतिक दलों की आंतरिक शुचिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मतदाताओं की पसंद और राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवार चयन में नैतिकता को अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है। चुनाव सुधारों की मांग लंबे समय से हो रही है, लेकिन एडीआर की यह रिपोर्ट इस आवश्यकता को और भी अधिक बल देती है। सवाल यह है कि क्या केवल कानून बनाने से यह समस्या हल हो जाएगी, या इसके लिए राजनीतिक दलों को स्वयं अपने आंतरिक तंत्र में सुधार लाना होगा? जब जनप्रतिनिधि ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हों, तो उनसे सुशासन और कानून के शासन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यह रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक खतरे की घंटी है, जिसे गंभीरता से सुनने और इस पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
 

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