Kartavya Bhavan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली में नवनिर्मित कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन किया। दिल्ली के सेंट्रल विस्टा में स्थित यह भवन देश का नया शक्ति केंद्र बनने जा रहा है, जहां गृह, वित्त, पेट्रोलियम, एमएसएमई और आईबी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के कार्यालय स्थापित किए गए हैं। सभी जरूरी मंत्रालय अब इसी भवन में होंगे।
यह भवन 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है और इसमें कुल 850 कार्यालय कक्ष हैं। इस भवन में दो बेसमेंट और भूतल सहित सात मंजिलें हैं। यह भवन सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाले दस कॉमन सेंट्रल सचिवालय भवनों में से पहला है। शेष भवनों का निर्माण कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा और सभी मंत्रालय 30 अप्रैल 2026 तक स्थानांतरित हो जाएंगे। इसका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और अधिक प्रभावी बनाना, मंत्रालयों के बीच समन्वय बढ़ाना और नीति कार्यान्वयन में तेजी लाना है। दिल्ली के अलग-अगल इलाकों में फैले विभागों को एक ही छत के नीचे लाने की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
दरअसल वर्तमान में कई प्रमुख मंत्रालय 1950 और 1970 के दशक के बीच निर्मित शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन जैसी पुरानी इमारतों से संचालित हो रहे हैं, जो अब संरचनात्मक रूप से कमज़ोर और अप्रभावी हो गई हैं। कर्तव्य भवन जैसी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इमारतें इन मंत्रालयों को एक ही परिसर में लाकर कामकाज को और अधिक सुचारू, पारदर्शी और जवाबदेह बनाएंगी। इसमें गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय होंगे।
850 कार्यालय वाले कर्तव्य भवन-03 को GRIHA-4 रेटिंग वाली हरित इमारत के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इसमें डबल-ग्लेज़्ड ग्लास, रूफटॉप सोलर पैनल, सोलर वॉटर हीटर, वर्षा जल संचयन और उन्नत हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। यह इमारत ऊर्जा-बचत करने वाली एलईडी लाइट्स, स्मार्ट लिफ्ट और सेंसर-आधारित पावर कंट्रोल सिस्टम से सुसज्जित है।
इससे यह इमारत पारंपरिक इमारतों की तुलना में 30 प्रतिशत कम ऊर्जा की खपत करेगी। इस भवन में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन, अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र, पुनर्चक्रित निर्माण सामग्री का उपयोग और शून्य-अपशिष्ट नीति जैसे कदम भी उठाए गए हैं। यहां प्रतिवर्ष उत्पादित 5.34 लाख यूनिट सौर बिजली से ऊर्जा की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलेगा।
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