Parliament Winter Session : शीतकालीन नहीं बल्कि ‘प्रदूषण कालीन’ बनकर रह गया संसद सत्र, कांग्रेस का सरकार पर तीखा हमला

खबर सार :-
Parliament Winter Session : संसद के शीतकालीन सत्र के समापन पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला करते हुए इसे ‘प्रदूषण कालीन सत्र’ बताया। जानिए प्रदूषण, नए बिल और सत्र से जुड़े पूरे विवाद की विस्तृत जानकारी।

Parliament Winter Session : शीतकालीन नहीं बल्कि ‘प्रदूषण कालीन’ बनकर रह गया संसद सत्र, कांग्रेस का सरकार पर तीखा हमला
खबर विस्तार : -

Parliament Winter Session : संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया, लेकिन सत्र के समापन के साथ ही राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप में देखने को मिल रही है। कांग्रेस (Congress) ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इस सत्र को ‘शीतकालीन सत्र’ नहीं, बल्कि ‘प्रदूषण कालीन सत्र’ कहा जाएगा। पार्टी का आरोप है कि जब दिल्ली और उत्तर भारत गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं, तब भी सरकार ने इस अहम मुद्दे पर संसद में चर्चा से बचने का रास्ता अपनाया।

Parliament Winter Session : मोदी सरकार ने प्रदूषण जैसे गंभीर विषय को हल्के में लिया- कांग्रेस

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने सत्र समाप्त होने के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार ने संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह प्रदूषण जैसे गंभीर विषय को हल्के में लिया। उन्होंने सरकार के उस बयान पर हैरानी जताई, जिसमें यह कहा गया कि प्रदूषण और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। जयराम रमेश के अनुसार, देश और दुनिया की कई वैज्ञानिक रिपोर्टें यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि वायु प्रदूषण से सांस और फेफड़ों की गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार इन तथ्यों को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिखती।

Parliament Winter Session : प्रदूषण पर बहस से क्यों बची सरकार?

कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष लगातार लोकसभा और राज्यसभा दोनों में वायु प्रदूषण पर चर्चा की मांग कर रहा था। पार्टी को उम्मीद थी कि सत्र के अंतिम दिनों में इस विषय पर विस्तृत बहस होगी, लेकिन अचानक सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि यह फैसला जानबूझकर लिया गया ताकि सरकार को असहज सवालों का सामना न करना पड़े। वहीं दूसरी ओर, सरकार ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर ही चर्चा से भागने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने कहा कि सरकार प्रदूषण पर चर्चा के लिए तैयार थी, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण बहस नहीं हो सकी। हालांकि विपक्ष का तर्क है कि जब अन्य विवादित विधेयकों पर बहस कराई जा सकती है, तो फिर प्रदूषण जैसे जनस्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे को क्यों टाला गया।

Parliament Winter Session : प्रदूषण पर जवाब से पहले ही स्थगित हुआ सदन

गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) को लोकसभा में प्रदूषण पर जवाब देना था। तय समय के अनुसार गुरुवार शाम इस विषय पर चर्चा होनी थी, लेकिन सदन शुरू होने के कुछ ही समय बाद हंगामे के बीच कार्यवाही स्थगित कर दी गई। उसी दौरान एक अन्य विधेयक पारित हो गया, जिसे लेकर विपक्ष ने प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। बाद में वही विधेयक रात में राज्यसभा से भी पास हो गया, लेकिन प्रदूषण पर चर्चा अधूरी ही रह गई। कांग्रेस ने सत्र की पूरी कार्यशैली पर भी आपत्ति जताई। जयराम रमेश ने कहा कि इस सत्र की शुरुआत महान साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को निशाने पर लेने से हुई और अंत महात्मा गांधी से जुड़े विवाद के साथ हुआ। उनका आरोप है कि सरकार संसद में इतिहास को तोड़़कर पेश कर रही है, जिससे स्वस्थ लोकतांत्रिक बहस का माहौल प्रभावित हो रहा है।

Parliament Winter Session : नए VB- G RAM G ळ बिल पर कांग्रेस की आपत्ति

सत्र के दौरान पारित किए गए नए टठ. ळ त्।ड ळ बिल को लेकर भी कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया। पार्टी का कहना है कि यह कानून मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना को कमजोर करेगा। जयराम रमेश ने याद दिलाया कि मनरेगा का गठन व्यापक विचार-विमर्श, स्थायी समिति की समीक्षा और सर्वसम्मति से हुआ था। इसके विपरीत नए बिल को जल्दबाजी में लाया गया, न तो इसे समिति में भेजा गया और न ही संशोधन का पर्याप्त समय दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि इस नए कानून से केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संतुलन बिगड़ेगा। जहां पहले केंद्र सरकार अधिकांश खर्च उठाती थी, वहीं अब राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है। इसका सीधा असर ग्रामीण और कमजोर वर्गों पर पड़ सकता है।

Parliament Winter Session : अधूरा सत्र और अनसुलझे सवाल

सरकार ने इस सत्र में कई विधेयक लाने की घोषणा की थी, लेकिन कई अहम प्रस्ताव सदन तक नहीं पहुंच सके। विपक्ष का कहना है कि जनता से जुड़े बुनियादी मुद्दों, जैसे प्रदूषण, स्वास्थ्य और रोजगार, पर चर्चा के बिना सत्र का समापन लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है। ऐसे समय में संसद में इस विषय पर गंभीर बहस न होना विपक्ष के अनुसार सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है। अब सबकी निगाहें आगामी बजट सत्र पर टिकी हैं। कांग्रेस का कहना है कि वह वहां इन सभी मुद्दों को फिर से मजबूती से उठाएगी और सरकार को जवाबदेह बनाने की कोशिश करेगी।
 

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