नई दिल्लीः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने दो ऑपरेटर्स शिवप्रसाद पट्टिया और अलकेश नरवरे को निवेशकों से धोखाधड़ी करने के चलते तीन साल के लिए बाजार से बैन कर दिया गया है। सेबी के आरोपों के मुताबिक, इन दोनों ऑपरेटर्स ने बिना लिक्विडिटी वाले स्टॉक ऑप्शंस में आर्टिफिशियल तरीके से वॉल्यूम को पैदा करके निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की थी। इसलिए नियामक ने दोनों ऑपरेटर्स को 45 दिनों के भीतर 4.83 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया है। यही नहीं, सेबी एक्ट, 1992 के सेक्शन 15एचए के तहत कैपिटल मार्केट रेगुलेटर ने शिवप्रसाद पट्टिया और अलकेश नरवरे पर 25-25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
सेबी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि शिवप्रसाद पट्टिया और अलकेश नरवरे को इस आदेश की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए बैन किया जाता है। इसके अनुसार प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने और प्रतिभूतियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खरीदने, बेचने या अन्य लेनदेन करने या किसी भी तरह से प्रतिभूति बाजार से जुड़ने पर बैन लगा दिया गया है। यही नहीं, इन दोनों निवेशकों को अपने म्यूचुअल फंड, शेयर, प्रतिभूतियों सहित संपत्तियों को डीमैट और भौतिक रूप में बेचने से भी रोक दिया गया है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई को निवेशकों से कई शिकायतें मिली हैं, जिसमें कहा गया कि उन्होंने कुछ व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों के साथ एल्गो/सॉफ्टवेयर ट्रेडिंग के लिए अपने क्रेडेंशियल्स को अच्छे मुनाफे के लालच में साझा किया था, लेकिन बाद में उनके ट्रेडिंग खातों में ट्रेड कर दिया गया। इसकी वजह से निवेशकों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। निवेशकों की तरफ से मिले ऐसे ही अलर्ट और शिकायतों के आधार पर सेबी ने निवेशकों के ऑनलाइन ट्रेडिंग किट के कथित दुरुपयोग में पटिया और नरवारे के नेतृत्व वाली संस्थाओं के एक समूह की जांच की थी। इस जांच में सामने आया कि एल्गो/सॉफ्टवेयर-आधारित ट्रेडिंग से गारंटीड रिटर्न का वादा किया गया और अवैध ‘आउट ऑफ द मनी’ (ओटीएम) स्टॉक ऑप्शंस में धोखाधड़ी और हेरफेर करने वाले ट्रेडों को अंजाम दिया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य अनजान निवेशकों/शिकायतकर्ताओं से फंड को उनके द्वारा नियंत्रित या प्रबंधित फ्रंट संस्थाओं में स्थानांतरित करना था।
सेबी ने आरोप लगाया कि निवेशकों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाने से पूर्व विस्तृत योजना तैयार की गई थी, जिसके तहत ऑपरेटरों ने निवेशकों को बाजार में निवेश करने और लुभाने के लिए कॉलर्स को नियुक्त किया था। इसके माध्य से निवेशकों से गारंटीड रिटर्न का वादा किया गया। निवेशकों को इन कॉल करने वालों से लगातार कॉल और संदेश मिले हैं। कॉल करने वालों ने एल्गो ट्रेड या स्वचालित सॉफ्टवेयर ट्रेड के माध्यम से गारंटीड लाभ के बहाने निवेशकों से अनेकों बार संपर्क किया। इन दोनों ऑपरेटरों ने निवेशकों को विश्वास में लेने के बाद, उनके लॉग-इन क्रेडेंशियल प्राप्त कर लिए और फिर स्टॉक ऑप्शन पर इस तरह से दांव लगाया कि निवेशकों को प्रीमियम का नुकसान उठाना पड़ा।
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