नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी इंडसइंड बैंक में धोखाधड़ी और आंतरिक व्यक्ति का इस्तेमाल कर ट्रेडिंग करने के मामले की जांच कर रहे हैं। इस मामले की प्रारंभिक जांच में कई उच्चाधिकारियों के नाम सामने आए हैं, इसके साथ ही ऑडिटर्स की मिलीभगत का मामला भी सामने आ चुका है, जिसको गंभीरता से लेकर बैंक ने अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना शुरू कर दिया है, लेकिन अब सबकी नजरें सेबी की जांच रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को इंडसइंड बैंक में कथित धोखाधड़ी और इनसाइडर ट्रेडिंग की आशंकाओं के मामले में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सेबी बैंक में धोखाधड़ी और अंदर के किसी कर्मचारी के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने वाली जानकारी का उपयोग कर शेयर व अन्य प्रतिभूतियों का व्यापार करने संबंधी संभावित उल्लंघनों की जांच कर रहा है। सेबी की टीम अपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार ही जांच कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई भी अकाउंटिंग से संबंधित गड़बड़ियों की जांच कर रहा है।
तुहिन पांडे ने एसोचैम की '16वीं कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस' में स्पष्ट किया कि बैंकों से जुड़े मामलों की जांच करना आरबीआई का अधिकार है, लेकिन यदि किसी ने कोई गंभीर उल्लंघन किया है, तो सेबी अपने सीमित अधिकार क्षेत्र के अनुसार जांच कर सकता है। इंडसइंड से जुड़ा घटनाक्रम बैंक द्वारा अपने ही कुछ कर्मचारियों से जुड़े एक संदिग्ध धोखाधड़ी का खुलासा करने के बाद सामने आया है। बैंक ने वित्तीय वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के लिए 2,328.92 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया है। गंभीर अकाउंटिंग गड़बड़ियां सामने आने के बाद यह बैंक की पहले तिमाही के नतीजे हैं। इस मामले के कारण बैंक में कई उच्च-स्तरीय अधिकारियों के इस्तीफे, विनियामक जांच की प्रक्रिया और कई ऑडिट हुए हैं। आय के बाद की कॉल में बैंक के बोर्ड ने कहा कि उसे संदेह है कि वित्तीय रिपोर्टिंग और अकाउंटिंग में शामिल कुछ कर्मचारियों ने धोखाधड़ी की है। बोर्ड ने मामले की सूचना विनियामक और जांच एजेंसियों को दे दी है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है।
इंटरनल ऑडिट कमेटी के अनुसार, प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि पूर्व प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारियों (केएमपी) सहित कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने आंतरिक नियंत्रणों को दरकिनार कर दिया है। बोर्ड और ऑडिटर्स से गलत अकाउंटिंग प्रैक्टिस को छिपाया गया है। ऑडिट डिपार्टमेंट ने 21 मई को खुलासा किया कि दिसंबर 2024 को समाप्त होने वाली तीन तिमाहियों में बैंक के माइक्रोफाइनेंस डिवीजन में शुल्क आय के रूप में 172.58 करोड़ रुपए गलत तरीके से दर्ज किए गए थे। इसके बाद चौथी तिमाही में इस त्रुटि को ठीक कर दिया गया, जिससे बैंक को बड़ा नुकसान हुआ।
इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने बैंक से जुड़े घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बोर्ड इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहा है। भविष्य में ऐसी चूक से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। बैंक के गवर्नेंस कल्चर में सुधार करना ही अब हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। बैंक घटनाक्रम में शामिल कर्मचारियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की भी समीक्षा कर रहा है और अपनी आंतरिक आचार संहिता के अनुसार सख्त कार्रवाई करेगा। मेहता ने यह भी बताया कि बैंक का बोर्ड 30 जून तक आरबीआई को नए सीईओ की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिश भेजेगा।
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