Trade Ban: भारत ने व्यापार पर लगाया बैन, बांग्लादेश को 770 मिलियन डॉलर का नुकसान

खबर सार :-
भारत सरकार ने दुश्मन देशों के साथ मिलकर लगातार साजिश रचने वाले बांग्लादेश को सबक सिखाने के लिए व्यापार पर रोक लगा दी है। इसमें रेडीमेड कपडों, फल, कपास, धागे और अन्य कई सामानों के व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है। भारत सरकार के इस फैसले से बांग्लादेश की सरकार को 770 मिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है।

Trade Ban: भारत ने व्यापार पर लगाया बैन, बांग्लादेश को 770 मिलियन डॉलर का नुकसान
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत सरकार ने सीमा पर तनाव के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। तुर्किए, चीन और अजरबैजान के बाद अब बांग्लादेश को निशाना बनाया जा रहा है। भारत सरकार ने बांग्लादेश से होने वाले आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले से पड़ोसी देश में क्रॉस बॉर्डर ट्रेड प्वाइंट के माध्यम से आने वाले 770 मिलियन डॉलर यानी 6,600 करोड़ रुपए की कीमत के सामानों पर प्रभाव पड़ने का अनुमान है। यही नहीं, जो बांग्लादेश चीन को अपने देश की सीमा से सटे बंदरगाहों का इस्तेमाल करने की खुली छूट देने की बातें कर रहा था, अब उसके लिए भारतीय बंदरगाहों से व्यापार के रास्ते सीमित कर दिए गए हैं। यह निश्चित तौर पर पड़ोसी देश को सबक सिखाने का सबसे सटीक तरीका माना जा रहा है।

17 मई को जारी की गई थी अधिसूचना

भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 17 मई को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड गारमेंट्स, प्रोसेस्ड फूड आदि जैसे सामानों के आयात पर तत्काल प्रभाव से भूमि बंदरगाह प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया था। निर्देश के अनुसार, अब पड़ोसी देश बांग्लादेश से सभी प्रकार के रेडीमेड गारमेंट्स का आयात किसी भी भूमि बंदरगाह से नहीं किया जा सकेगा। इसमें केवल न्हावा शेवा और कोलकाता बंदरगाहों के माध्यम से ही व्यापार करने की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को समाप्त कर दिया था, जिससे बांग्लादेश को भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से अपने उत्पादों को दूसरे देशों में निर्यात करने की अनुमति मिल गई थी, लेकिन अब बांग्लादेश की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आर्थिक विश्लेषकों की मानें तो चीन के बाद भारत बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

दुश्मन देश के साथ मिलकर साजिश रच रहा बांग्लादेश

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद से मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार संभालने की जिम्मेदारी मिली है। बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पद संभालने के बाद से लगातार भारत विरोधी बातें कर रहे हैं, देश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि भारत लगातार बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार पर रोक लगाने को लेकर युनूस सरकार को आगाह कर रहा है, लेकिन वो सरकार की बातों को गंभीरता से लेने और कार्रवाई करने से लगातार बच रहे हैं। यही नहीं, वे लगातार पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिशें कर रहे हैं। यूनुस ने पाकिस्तान और चीन के साथ बीते कुछ महीनों में कई ऐसे समझौते और बयानबाजी की हैं, जो भारत को नागवार गुजरी है, क्योंकि बांग्लादेश को आजादी दिलाने से लेकर अब तक भारत ने हमेशा से बांग्लादेश का बड़े भाई की तरह साथ दिया है। हर मुश्किल में मजबूती के साथ बांग्लादेश के साथ खड़ा रहा है, इसके बावजूद बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने दुश्मन देशों के साथ मिलकर भारत को नुकसान पहुंचाने की साजिश की है। इसीलिए भारत सरकार ने व्यापार पर प्रतिबंध लगाकर बांग्लादेश को सबक सिखाने का काम किया है। 

2022-23 में हुआ था 16 बिलियन डॉलर का व्यापार

आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में बांग्लादेश औऱ भारत के बीच लगभग 16 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। बांग्लादेश ने लगभग 14 बिलियन डॉलर का सामान आयात किया, जबकि भारत को उसका निर्यात मात्र 2 बिलियन डॉलर तक ही सीमित रहा। इस संबंध में थिंक-टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव यानी जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि 618 मिलियन डॉलर यानी 5,290 करोड़ रुपए मूल्य के रेडीमेड कपड़ों को अब केवल दो भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से ही भेजा जा सकता है। इन मार्गों से व्यापार की प्रक्रिया अत्यंत कठिन और खर्चीली साबित होगी। इससे बांग्लादेश का भारत के लिए सबसे मूल्यवान एक्सपोर्ट चैनल सीमित हो गया है। साथ ही सीमा पर लैंड कस्टम स्टेशनों के माध्यम से भारत में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किए गए अन्य सामानों में फलों के स्वाद वाले कार्बोनेटेड पेय, प्रोसेस्ड फूड, प्लास्टिक, पीवीसी तैयार माल, कपास, सूती धागे का वेस्ट  और लकड़ी के फर्नीचर समेत कई उपयोगी वस्तुएं शामिल हैं। इन वस्तुओं का कुल मूल्य लगभग 153 मिलियन डॉलर यानी 1,310 करोड़ रुपए आंका गया है। यह निश्चित तौर पर आर्थिक मंदी से जूझ रही बांग्लादेश की सरकार की मुश्किलों को और बढ़ा सकता है।  

 

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